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शिक्षा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय  और सेंचुरियन विश्वविद्यालय भारत में कौशल को बढ़ावा का प्रयास करेंगे-दोनो विश्वविद्यालयों के बीच में समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर

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भारत में कौशल के मामले वैश्विक दशा को ध्यान में रखते हुए  (जेएनयू) जो भारत के प्रमुख संस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय है और सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (सीयूटीएम) जो भारत का पहला प्रमुख कौशल विश्वविद्यालय हैं। इन दोनों संस्थानों ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश स्थित कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमओएसडीई) के उत्कृष्टता (सीओई) ने उच्च शिक्षा, शिक्षाविदों, अनुसंधान विशेष रूप से कार्रवाई व अनुसंधान में आदान-प्रदान साथ सहयोग को बढ़ावा देने और कौशल एकीकरण प्रदान करने के लिए समझ और उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए हाथ मिलाया है।

जेएनयू और सीयूटीएम ने अनुभव, सर्वोत्तम प्रथाओं और ज्ञान को साझा करने के माध्यम से संस्थागत सहयोग के लिए आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य प्रासंगिक, उचित और बाजार संचालित कौशल प्रदान करने के लिए अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और मजबूत करना है।

यह सहयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय है। इसमें एनईपी ने सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण और मुख्यधारा के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया है। इसलिए यह साझेदारी देश भर के छात्रों और शिक्षार्थियों को एनईपी के मुख्य उद्देश्यों के अनुपालन के अलावा उद्योगों की आवश्यकताओं और समाज की जरूरतों के अनुसार विभिन्न कौशल प्राप्त करने में मदद करेगी।

भारत में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमओएसडीई) पहले से ही भविष्य की नौकरियों के लिए व्यक्तियों को योग्य बनाने की दिशा में इस बदलाव को आगे बढ़ा रहा है।इसमें “पूर्व शिक्षा की मान्यता” (आरपीएल) और “राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क” (एनसीआरएफ) जैसी पहल शामिल हैं। यूजीसी द्वारा एकल मेटा फ्रेमवर्क और हाल ही में घोषित राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (एनएचईक्यूएफ) काे ध्यान रखा है।

दोनों विश्वविद्यालयों ने निम्नलिखित के लिए  निर्णय लिए है:
-( एनईपी 2020 के अनुसार उच्च शिक्षा, शिक्षाविदों, अनुसंधान, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास को डिजाइन करने और वितरित करने में सहयोग करेना है।
-( उच्च शिक्षा में कौशल को बढ़ाने और एकीकृत करने के लिए स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज, सेंटर फॉर सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ और अन्य स्कूलों या केंद्रों के बीच जुड़ाव के विशिष्ट क्षेत्रों का पता लगाना है। .
( -रोजगार की योग्यता और उद्यमशीलता को बढ़ाने के लिए कौशल एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने वाले सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों का अन्वेषण करना और बारीकी से काम करना है।
( -उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार और एनसीआरएफ के अनुरूप विभिन्न औद्योगिक समूहों में संयुक्त प्रमाणपत्र कार्यक्रमों की संभावनाओं का पता लगाना है।
(- एक्शन लर्निंग और कौशल एकीकृत प्रमाणपत्र और अग्रिम पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए दिल्ली में जल्द से जल्द जेएनयू के करीब एक पायलट केंद्र की संभावनाओं का पता लगाना है।
(-शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता और परिणाम को बढ़ाने के लिए उद्योग भागीदारों को शामिल करना।

इस खास अवसर पर बोलते हुए- प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित, कुलपति, जेएनयू ने कहा-“मैं अपने स्टाफ, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी और यहां के समूह दोनों को बधाई देता हूं। हमने आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। जो अपने आप में जेएनयू के नए आयामों में जाने की शुरुआतों में से एक है। सेंचुरियन विश्वविद्यालय एक बहुत अलग प्रकार का निजी विश्वविद्यालय है। जो समुदाय और समाज के लिए अधिक प्रतिबद्ध है। जेएनयू भी इसके लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि हम  केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। हमें उम्मीद है कि हम संयुक्त कार्यक्रम करने में सक्षम होंगे। जिसमें हम न केवल हाशिये पर पड़े लोगों की मदद करेंगे बल्कि हम सहानुभूति के साथ उत्कृष्टता, समता के साथ समानता और अखंडता के साथ समावेशन भी लाएंगे।

सीयूटीएम की कुलपति प्रो सुप्रिया पटनायक ने कहा- “जेएनयू के साथ सहयोग करना हम सभी के लिए और हमारे सेंचुरियन विश्वविद्यालय के लिए विशेषाधिकार और सम्मान की बात है। साथ मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने के लिए हम पूरे भारत में कौशल आउटरीच कार्यों की एक श्रृंखला का पता लगाने और उस पर काम करने की उम्मीद करते हैं। शिक्षा के भविष्य के साथ कौशल के भविष्य को एकीकृत करेंगे। यह एसोसिएशन न केवल उच्च शिक्षा में कौशल एकीकरण के हमारे संकल्प को आगे बढ़ाएगी। साथ ही देश में सफेद और ब्लू-कॉलर श्रमिकों के बीच विशाल कौशल अंतर को कम करने में भी मदद मिलती है।

एमओयू हस्ताक्षर समारोह में प्रो. मदन (निदेशक, कौशल, सीयूटीएम), मोनालिशा घोष (एसोसिएट डायरेक्टर, पार्टनरशिप्स, सीयूटीएम) और अभिषेक चतुर्वेदी (निदेशक, एनसीआर ऑपरेशंस, ग्राम तरंग एम्प्लॉयबिलिटी ट्रेनिंग सर्विसेज-जीटीईटी) मौजूद थे। जीटीईटी सीयूटीएम की एक सामाजिक उद्यम और कौशल आउटरीच शाखा है।  जिसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और सीयूटीएम द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया है। जिसने पांच लाख से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है।

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शिक्षा

हिंदी भाषा और व्याकरण: मानवीय संस्कारों से रोज़गार तक की यात्रा

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नई दिल्ली : भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह समाज की आत्मा, संस्कृति की वाहक और मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त साधन होती है। हिंदी, हमारी मातृभाषा, न केवल भारत के विशाल भूभाग में संवाद का माध्यम है, बल्कि यह करोड़ों लोगों की पहचान, सोच और संस्कारों की वाहिका भी है। भाषा की आत्मा उसका व्याकरण होता है, जो उसे शुद्धता, स्पष्टता और सौंदर्य प्रदान करता है। हिंदी भाषा और व्याकरण का यह संगम न केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है, बल्कि व्यक्ति को सामाजिक, नैतिक व व्यावसायिक स्तर पर दक्ष, सक्षम और संवेदनशील बनाता है।

1. भाषा और व्याकरण: संस्कारों का आधार

बचपन में जब कोई बालक भाषा सीखता है, तो वह केवल शब्दों और वाक्यों को नहीं, बल्कि व्यवहार, संस्कृति और मूल्यों को आत्मसात करता है। ‘नमस्ते’ कहना, बड़ों को ‘आप’ कहकर संबोधित करना, संवाद में विनम्रता रखना — ये केवल भाषायी क्रियाएं नहीं हैं, ये हमारी सामाजिक चेतना के अंग हैं।

हिंदी व्याकरण में मौजूद ‘संबोधन विभक्ति’, ‘क्रियाओं की विनम्रता’ और ‘शुद्ध उच्चारण’ केवल तकनीकी बातें नहीं हैं, बल्कि ये संवाद की मर्यादा और आदर-संवोधन की गूढ़ समझ भी प्रदान करती हैं।

भाषा में व्याकरण वही भूमिका निभाता है, जो शरीर में रीढ़ की हड्डी निभाती है। वह भाषा को संरचना, संतुलन और सौंदर्य प्रदान करता है। सही व्याकरण से युक्त भाषा न केवल स्पष्ट होती है, बल्कि वह सामाजिक व्यवहार का दर्पण भी बनती है।

2. भावनात्मक बौद्धिकता और भाषा

आज के युग में ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ (Emotional Intelligence) को सफलता का अनिवार्य गुण माना जाता है। यह केवल निर्णय लेने या संकट में संतुलन बनाए रखने की क्षमता नहीं, बल्कि दूसरों की बात समझने, संवेदना व्यक्त करने और सहयोग की भावना को विकसित करने का माध्यम भी है।

हिंदी भाषा, विशेषकर उसकी काव्यात्मकता, मुहावरों, लोकोक्तियों और संवाद शैली के माध्यम से यह भावनात्मक समझ उत्पन्न करती है। एक संवेदनशील भाषा के रूप में हिंदी अपने वक्ता को एक बेहतर श्रोता, सहकर्मी, नेता और नागरिक बनने की क्षमता देती है।

3. रोजगार के बदलते परिदृश्य में भाषा की भूमिका

21वीं सदी का रोजगार बाजार केवल डिग्रियों और तकनीकी ज्ञान के आधार पर निर्णय नहीं लेता। अब कंपनियां और संस्थाएं ऐसे व्यक्तियों को प्राथमिकता देती हैं जो प्रभावी संवाद कर सकें, टीम में काम कर सकें, और विभिन्न भाषायी-सांस्कृतिक संदर्भों को समझते हुए व्यावसायिक संबंध बना सकें।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों में हिंदी भाषा का प्रभावी योगदान:

  • शिक्षा एवं शोध: आज शैक्षणिक संस्थानों में विषयवस्तु को मातृभाषा में समझाना, शोध करना और विद्यार्थियों से संवाद करना एक महत्वपूर्ण कौशल है। हिंदी में लेखन, प्रस्तुति और अध्यापन की क्षमता आपको इस क्षेत्र में अग्रणी बना सकती है।

  • पत्रकारिता एवं मीडिया: हिंदी पत्रकारिता देश के सबसे बड़े मीडिया उपभोक्ताओं में से एक को संबोधित करती है। प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन मीडिया में शुद्ध, सटीक और प्रभावी हिंदी लेखन व वाचन कौशल की भारी मांग है।

  • सृजनात्मक लेखन एवं अनुवाद: साहित्य, पटकथा लेखन, वेब सीरीज़, विज्ञापन, फिल्म आदि में हिंदी की सृजनात्मकता की अपार संभावना है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय भाषाओं और वैश्विक भाषाओं से हिंदी में अनुवाद एक उभरता हुआ पेशेवर क्षेत्र है।

  • प्रशासनिक सेवाएं: सिविल सेवा परीक्षा सहित अनेक प्रशासनिक सेवाओं में हिंदी भाषा में गहरी समझ और प्रभावी अभिव्यक्ति सफलता की कुंजी बन सकती है।

  • कॉर्पोरेट व जनसंपर्क: बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्थानीय संस्थाओं को ऐसे लोग चाहिए जो हिंदी में ग्राहकों से संवाद कर सकें, रिपोर्ट तैयार कर सकें और अंदरूनी टीमों के बीच पुल बना सकें।

4. व्याकरण: दक्षता और विश्वसनीयता का आधार

आज जब डिजिटल और वैश्विक संवाद तेज़ी से बढ़ रहा है, सही भाषा और व्याकरण की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है। सोशल मीडिया पोस्ट, ईमेल, रिपोर्ट, प्रस्तुतियाँ — सबमें भाषा की स्पष्टता और शुद्धता ही व्यक्ति की विशेषज्ञता और विश्वसनीयता दर्शाती है।

हिंदी व्याकरण जैसे समास, कारक, काल, वाच्य, अलंकार आदि न केवल भाषा को समृद्ध बनाते हैं, बल्कि व्यक्ति के चिंतन और अभिव्यक्ति को गहराई और सौंदर्य प्रदान करते हैं। व्याकरण के अभ्यास से तार्किक क्षमता, एकाग्रता और अनुशासन का विकास होता है — जो किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक हैं।

5. डिजिटल युग और हिंदी भाषा

आज डिजिटल क्रांति के युग में हिंदी अपनी नई पहचान बना रही है। मोबाइल एप्स, वेबसाइट्स, ब्लॉग्स, यूट्यूब चैनल्स, पॉडकास्ट्स और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर हिंदी के उपयोग ने लाखों युवाओं को न केवल अपनी बात कहने का मंच दिया है, बल्कि उन्हें स्वतंत्र, रचनात्मक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनाया है।

हिंदी कंटेंट क्रिएटर, ट्रांसक्रिप्शन विशेषज्ञ, डिजिटल मार्केटर, सोशल मीडिया मैनेजर जैसे अनेक नए प्रोफेशनल रोल हिंदी भाषा-ज्ञान पर आधारित हैं। ऐसे में हिंदी भाषा और व्याकरण का सशक्त ज्ञान, डिजिटल युग के अवसरों का लाभ उठाने में सहायक बनता है।

6. भाषा और व्यक्तित्व विकास

हिंदी भाषा केवल करियर का साधन नहीं, यह हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है। वह हमें अभिव्यक्ति की शक्ति, विचारों की गहराई और संवाद की मर्यादा सिखाती है। एक ऐसा व्यक्ति जो प्रभावी ढंग से हिंदी में विचार रख सकता है, उसमें आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और संवेदनशीलता जैसे गुण स्वतः विकसित होते हैं।

व्याकरण की समझ व्यक्ति को केवल भाषायी रूप से सक्षम नहीं बनाती, बल्कि वह तार्किक, संयमित और विवेकशील भी बनाता है।

हिंदी भाषा और उसका व्याकरण केवल शैक्षिक विषय नहीं हैं, बल्कि ये मानवीय जीवन की संरचना के मूल आधार हैं। ये हमें केवल शब्दों की दुनिया में दक्ष नहीं बनाते, बल्कि संस्कार, सह-अस्तित्व, संवाद और सहिष्णुता जैसे गुणों से समृद्ध करते हैं। आज जब भविष्य की दुनिया बहुभाषायी, भावनात्मक और संवाद-प्रधान होती जा रही है, हिंदी भाषा और व्याकरण की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

हमें यह समझना होगा कि भाषा केवल रोज़गार का साधन नहीं, बल्कि एक समृद्ध, सुसंस्कृत और सार्थक जीवन की कुंजी भी है। यदि हम हिंदी भाषा और व्याकरण को अपने जीवन में आदरपूर्वक स्थान दें, तो हम न केवल एक सफल पेशेवर बन सकते हैं, बल्कि एक सजग, सुसंस्कृत और सहृदय नागरिक भी बन सकते हैं।

  • ©® डॉ ऋषि शर्मा

  • प्रकाशन प्रबंधक भाषा

  • न्यू सरस्वती हाउस प्रकाशन

  • प्रमुख संपादक गुंजार, गूँज हिंदी की, शैक्षिक त्रैमासिक पत्रिका।

  • संस्थापक: हिंदगी ,हिंदी है ज़िंदगी समूह

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शिक्षा

MetaApply एक्सपर्ट गाइडेंस: विदेश में मेडिकल की पढ़ाई के लिए आपका रास्ता

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नोएडा, 17 मार्च : जैसे-जैसे कुशल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की वैश्विक मांग बढ़ रही है, भारतीय छात्र विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। शीर्ष-स्तरीय विश्वविद्यालयों और उन्नत स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों तक पहुँच के साथ, छात्रों को अमूल्य अंतर्राष्ट्रीय अनुभव, विविध स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों से परिचय और अत्याधुनिक तकनीकों तक पहुँच प्राप्त होती है।

MetaApply, एक अग्रणी एड-टेक संगठन, छात्रों को विदेश में चिकित्सा की पढ़ाई की जटिलताओं से निपटने में सहायता करने में सबसे आगे है। MetaApply छात्रों को सही कार्यक्रम चुनने, सहजता से आवेदन करने और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश सुरक्षित करने में मदद करने के लिए व्यक्तिगत परामर्श और विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करता है।

हर साल, 20 लाख से ज़्यादा भारतीय छात्र NEET परीक्षा देते हैं, लेकिन सीमित सीटों की उपलब्धता के कारण, 1.5 लाख से भी कम छात्र भारत के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाते हैं। इस अंतर को पाटने के लिए, मेटाएप्ली छात्रों को आयरलैंड, रूस, चीन, यूएसए, जॉर्जिया, हंगरी और अन्य देशों के शीर्ष विश्वविद्यालयों से जोड़ता है। वर्तमान में, MetaApply अपने छात्रों के पहले बैच का जश्न मना रहा है, जिन्होंने जॉर्जिया में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सफलतापूर्वक वीज़ा प्राप्त किया है।

विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने के लाभों में शामिल हैं:

  1. उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा

  2. विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय

  3. सस्ती ट्यूशन फीस

  4. नैदानिक अनुसंधान के अवसर

  5. विविध सांस्कृतिक अनुभव

MetaApply छात्रों की सहायता कैसे करेगा:

  1. प्रीमियम परामर्श: विशेषज्ञों की हमारी टीम शीर्ष-स्तरीय व्यक्तिगत मार्गदर्शन सुनिश्चित करती है, जो प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण को बनाए रखते हुए असाधारण मूल्य प्रदान करती है।

  2. आवेदन सहायता: विशेषज्ञों की हमारी टीम आवेदन को उत्कृष्ट बनाने के लिए विशेषज्ञ सलाह प्रदान करके छात्रों के लिए प्रवेश आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाएगी।

  3. दस्तावेजों का वैधीकरण: आधिकारिक तौर पर व्यक्तिगत रूप से उनका सत्यापन करके, अंतर्राष्ट्रीय उपयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी दस्तावेजों को वैध बनाना सुनिश्चित करना।

  4. वित्तीय सहायता: छात्रों को सर्वोत्तम वित्तीय सहायता खोजने में सहायता करके, चाहे वह छात्रवृत्ति के माध्यम से हो या MetaFinance द्वारा संचालित शिक्षा ऋण के माध्यम से।

  5. वीज़ा मार्गदर्शन: वीज़ा आवेदन भरने, सटीक दस्तावेज़ जमा करने और वीज़ा साक्षात्कार की तैयारी करने में छात्रों की मदद करना।

  6. फ्लाइट बुकिंग: हमारी अतिरिक्त सेवा के माध्यम से, MetaFly अपने शेड्यूल और बजट के अनुसार, अपने सपनों के अध्ययन गंतव्य के लिए एक आरामदायक उड़ान खोजता है।

  7. आवास सहायता: हमारी अतिरिक्त सेवा के माध्यम से, MetaStay हमारे आवास सहायता के माध्यम से विदेश में एक आरामदायक घर खोजने की परेशानी को समाप्त करता है।

  8. प्रस्थान से पहले अभिविन्यास: हमारी टीम छात्रों को एक नया अध्याय शुरू करने के लिए अपने सपनों के गंतव्य पर उड़ान भरने से पहले तैयार करती है। सत्र में विदेश में सुरक्षित रूप से बसने के लिए सुझाव दिए जाते हैं।

  9. मेस सहायता: छात्रों को विश्वसनीय, किफ़ायती और आरामदायक भोजन विकल्पों की मदद करके व्यापक मेस सहायता प्रदान करता है, जिससे विदेश में जीवन में एक सहज संक्रमण सुनिश्चित होता है।

श्री प्रशांत साली, सीईओ – यूके और शेष विश्व, MetaApply ने कहा, “हम छात्रों को उनकी अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा यात्रा को यथासंभव आसानी और आत्मविश्वास से नेविगेट करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं| हमारा लक्ष्य चिकित्सा शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाना है, विशेष रूप से कम आय वाले पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए, यह सुनिश्चित करना कि वित्तीय बाधाएं उनके चिकित्सा करियर की खोज में बाधा न बनें।”

MetaApply के एसोसिएट डायरेक्टर – पार्टनरशिप्स, श्री पवन भाटिया ने कहा, “विदेश में चिकित्सा की पढ़ाई करने से न केवल असाधारण शैक्षणिक अवसरों के द्वार खुलते हैं, बल्कि छात्रों को एक अनूठा वैश्विक दृष्टिकोण भी मिलता है, जो आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में अमूल्य है। हम चिकित्सा के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करने का लक्ष्य बना रहे हैं।”

“विश्व स्तर पर प्रशिक्षित डॉक्टरों की मांग पहले कभी इतनी अधिक नहीं रही है, और हम महत्वाकांक्षी चिकित्सा पेशेवरों का समर्थन करने के लिए अपना ‘बी ए डॉक्टर’ विंग शुरू करने के लिए उत्साहित हैं। विदेश में अध्ययन सेवाओं में हमारी सिद्ध विशेषज्ञता के साथ, हम विश्वविद्यालय चयन से लेकर प्रवेश और वीजा हासिल करने तक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं – छात्रों को विश्व स्तरीय चिकित्सा पेशेवर बनने के उनके सपने को साकार करने में मदद करते हैं।” MetaApply के सेल्स हेड, श्री जसमीत सिंह ने आगे कहा।

MetaApply की एसोसिएट डायरेक्टर – मार्केटिंग सुश्री साक्षी जैन ने कहा, “हमारी मार्केटिंग रणनीति भारत में हर महत्वाकांक्षी मेडिकल छात्र को विदेश में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधन प्रदान करने पर केंद्रित है। लक्षित जागरूकता अभियानों और विशेषज्ञ सहायता के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि छात्रों को आसानी से शीर्ष वैश्विक अवसरों तक पहुँच प्राप्त हो।”

विदेश में शीर्ष मेडिकल स्कूलों के लिए आवेदन अब खुले हैं, और कई छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता विकल्पों के साथ, भारतीय छात्रों के पास इन जीवन-परिवर्तनकारी अवसरों तक पहले से कहीं अधिक पहुँच है।MetaApply छात्रों को उनके करियर के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए यहाँ है, चाहे वे नैदानिक देखभाल, अनुसंधान या वैश्विक स्वास्थ्य नीति में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हों। एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय संस्थान से मेडिकल की डिग्री एक सफल और प्रभावशाली करियर को खोल सकती है। अधिक जानकारी के लिए: metaapply.io/be-a-doctor

पर जाएँ या संपर्क करें: beadoctor@metaapply.io

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राष्ट्रीय

हेलो किड्स प्रीस्कूल चेन ने 1000वां सेंटर खोलकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति बढ़ाई

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नई दिल्ली, 11 मार्च :  भारत की पहली नो-रॉयल्टी मॉडल और सबसे बड़ी प्रीस्कूल चेन में से एक, हेलो किड्स ने भारत और बांग्लादेश में 1,000 सेंटर खोलकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कंपनी की आक्रामक विस्तार योजना के तहत, अगले तीन वर्षों में 2,000 सेंटर खोलने और 2028 तक 100,000 से अधिक बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में यह प्रीस्कूल चेन बैंगलोर और हैदराबाद में प्रमुख रूप से कार्यरत है, लेकिन जल्द ही भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में भी अपने विस्तार के साथ अग्रणी शहरों में लोकप्रियता हासिल करेगी।

हेलो किड्स: एक प्रेरणादायक सफर

हेलो किड्स की स्थापना प्रीतम कुमार अग्रवाल ने वर्ष 2005 में की थी। बैंगलोर में एक छोटे से प्रीस्कूल से शुरू होकर यह आज दक्षिण भारत और बांग्लादेश में 1,000 से अधिक प्रीस्कूलों के एक मजबूत नेटवर्क के रूप में विकसित हो चुका है। यह यात्रा दृढ़ता, नवाचार और जुनून से भरी रही है।

एक छोटे से गाँव से आने वाले प्रीतम कुमार अग्रवाल ने प्रारंभिक चुनौतियों को पार करते हुए प्रीस्कूल स्थापित करने की बारीकियाँ सीखी। शुरुआती दिनों में वे अकेले ही स्कूल का संचालन करते थे, यहाँ तक कि स्कूल वैन भी खुद चलाते थे। उनके समर्पण को तब और बल मिला जब उनकी पत्नी सुनीता जैन, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, इस उद्यम से जुड़ीं। इसके बाद यह दंपति तेजी से आगे बढ़ता गया।

फ्रैंचाइज़िंग की शक्ति का लाभ उठाते हुए, हेलो किड्स माता-पिता के लिए एक विश्वसनीय और पसंदीदा ब्रांड बन चुका है। संस्थापक और निदेशक प्रीतम कुमार अग्रवाल ने कहा, “छोटी शुरुआत से लेकर देशभर में एक प्रतिष्ठित नाम बनने तक, हेलो किड्स ने हमेशा गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा को किफायती बनाने पर जोर दिया है। हमारा लक्ष्य 2028 तक 2,000 सेंटर खोलना और प्रारंभिक शिक्षा में उत्कृष्टता बनाए रखना है।”

पुरस्कार और मान्ताएँ

हेलो किड्स को प्रारंभिक बाल शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई मान्यताएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • एजुकेशन वर्ल्ड द्वारा भारत के सबसे सम्मानित बचपन शिक्षा ब्रांड 2022-23 का खिताब।

  • एलेट्स वर्ल्ड एजुकेशन समिट 2022 द्वारा अग्रणी प्रीस्कूल चेन के रूप में सम्मान।

  • प्रीस्कूल शिक्षाशास्त्र में नवाचार, पाठ्यक्रम उत्कृष्टता और प्रारंभिक बाल शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए निरंतर मान्यता।

फ्रैंचाइज़ी पार्टनर्स के लिए अवसर

हेलो किड्स की सफलता का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह अपने फ्रैंचाइज़ी भागीदारों को आवश्यक उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करता है। कंपनी विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रशिक्षण सत्र आयोजित करती है, जिनमें शामिल हैं:

  • पाठ्यक्रम विकास और शिक्षाशास्त्र

  • विपणन रणनीतियाँ और सोशल मीडिया सहभागिता

  • प्रवेश प्रबंधन और अभिभावक परामर्श

  • नवीन शिक्षण विधियाँ जैसे ध्वन्यात्मकता, मोंटेसरी तकनीक, STEM शिक्षा और सामाजिक कौशल विकास

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम

हेलो किड्स का पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है। इसमें आधुनिक डिजिटल शिक्षण उपकरणों को शामिल किया गया है, जैसे:

  • वर्चुअल रियलिटी किट

  • डिजिटल स्लेट

  • टॉकिंग पेन

इसके अलावा, कंपनी बच्चों के अनुकूल, स्वच्छ वातावरण, सीसीटीवी-निगरानी वाली कक्षाओं और अनुभवी शिक्षकों के माध्यम से एक सुरक्षित और समृद्ध शिक्षण अनुभव प्रदान करती है।

भविष्य की दिशा

हेलो किड्स अपनी नवाचार और उत्कृष्टता की यात्रा जारी रखते हुए, भारत और विदेशों में प्रारंभिक बाल शिक्षा के भविष्य को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए www.hellokids.co.in पर जाएँ।

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