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विदेश में तिरंगे का सम्मान, सरावगी परिवार की प्रेरणादायक कहानी

दिल्ली, 05 मार्च : सरावगी परिवार उत्कृष्टता, एकता और समाज में सार्थक योगदान देने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस कहानी के केंद्र में दिनेश कुमार सरावगी हैं, जिनका नाम नेतृत्व और सफलता का पर्याय है। उनकी पत्नी श्रीमती सुजाता सरावगी और उनके प्रतिभाशाली पुत्र, शशांक और सोमांश, इस यात्रा में उनसे कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। सरावगी परिवार ने साथ मिलकर शक्ति, धैर्य और समाज को- तेरा तुझको अर्पण करने की एक अनोखी मिसाल पेश की है।
विदेश में तिरंगे का सम्मान
अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय के लिए यह एक गौरवपूर्ण और भावनात्मक क्षण था, जब दिनेश कुमार सरावगी और उनकी धर्मपत्नी को अमेरिका के गुरुकुल बोथिल में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने का सम्मान प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम 10 फरवरी को आयोजित किया गया था, जहाँ उनकी दोनों पोतियाँ पढ़ाई करती हैं। यह घटना न केवल उनके लिए बल्कि पूरे भारतीय समुदाय के लिए एक अत्यंत गर्व का क्षण था।
दिनेश कुमार सरावगी ने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा कि, “यह क्षण हमारे लिए बेहद खास था, विदेश में अपने तिरंगे को ऊँचा देखना एक अलग गौरव का एहसास देता है। हम भारतीय कहीं भी रहें, अपने संस्कार, संस्कृति और देश के प्रति प्रेम को हमेशा संजोकर रखते हैं।”
गुरुकुल बोथिल एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जहाँ भारतीय मूल के बच्चों को उनकी संस्कृति और मूल्यों के साथ शिक्षा दी जाती है। इस संस्थान में भारतीय ध्वज फहराने का कार्यक्रम आयोजित करना भारतीय मूल के लोगों के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
परिवार की प्रेरणा और योगदान
सरावगी परिवार केवल व्यावसायिक सफलता तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि उन्होंने समाज सेवा और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
श्रीमती सुजाता सरावगी है शक्ति का स्तंभ
श्रीमती सुजाता सरावगी इस परिवार की शक्ति का स्तंभ हैं, जिन्होंने अपने परिवार को भावनात्मक समर्थन देने के साथ सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गणित में स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने ज्ञान से में बौद्धिक, शारीरिक और नैतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शशांक सरावगी: टेक्नोलोजी एक्सपर्ट
शशांक सरावगी, जो कि BITS Pilani के पूर्व छात्र हैं, ने अपनी मेहनत और कौशल के दम पर तकनीकी क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। वर्तमान में वे INRIX के वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग हैं और कई सफल प्रोजेक्ट्स कर रहे हैं। उनका ध्यान रोड सेफ्टी और जनरेटिव एआई के क्षेत्र में इनोवेशन लाने पर है।
सोमांश सरावगी: तकनीकी क्षेत्र में उभरता सितारा
सोमांश सरोगी, जो MIT मणिपाल के स्नातक हैं, वर्तमान में Qualcomm में वरिष्ठ नेटवर्क इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं। उनकी तकनीकी दक्षता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें अपने क्षेत्र में सम्मानित स्थान दिलाया है।
सरावगी परिवार का यह मानना है कि चाहे व्यक्ति किसी भी देश में रहे, उसे अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। इसी भावना को साकार करने के लिए, वे अपनी अगली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक बना रहे हैं। दिनेश कुमार सरावगी ने इस अवसर पर कहा, “युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति और मूल्यों की समझ होना बेहद जरूरी है क्योंकि हमें दुनिया में एक अलग पहचान यही देती है।” सरावगी परिवार की यह प्रेरणादायक कहानी केवल एक परिवार की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा को दर्शाती है कि कैसे मूल्यों, समर्पण और मेहनत से सफलता और समाज सेवा को एक साथ जोड़ा जा सकता है। उनकी यह यात्रा पूरे भारतीय समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
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स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

अहमदाबाद (गुजरात), जून 16 :लगाजरडा में श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे में विमान दुर्घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के साथ मोरारी बापू ने संतों–महंतों की उपस्थिति में व्यक्त किए भाव।
दिनांक 13 जून की संध्या को तलगाजरडा में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राम कथा वाचक मोरारी बापू की धर्मपत्नी श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे के अवसर पर, संतों और महंतों की उपस्थिति में बापू ने सभी के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट कीं और कहा कि स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही साधु के पंचतत्व हैं।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की पीड़ा और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए, पूज्य मोरारी बापू ने एक आदर्श साधु की परिभाषा देते हुए कहा कि ये पंच गुण एक सच्चे साधु की पहचान हैं। उन्होंने प्रत्येक तत्व पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला और जोड़ा कि साधु लाभ के लिए नहीं, बल्कि शुभ के लिए कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज द्वारा साधु के प्रति श्रद्धा रहती है, परंतु साधु को सहनशील भी होना पड़ता है।
इस भंडारे में श्री सतुआ बाबा, श्री अंशु बापू, श्री दुर्गादास बापू, श्री ललितकिशोर महाराज, श्री जानकीदास बापू, श्री राम बालकदासजी बापू, श्री निर्मला बा, श्री निजानंदजी स्वामी, श्री दलपतराम पधियारजी, श्री दयागीरी बापू, श्री जयदेवदासजी, श्री राजेंद्रप्रसाद शास्त्री, श्री रामेश्वरदासजी हरियाणी, श्री भक्तिराम बापू, श्री घनश्याम बापू आदि अनेक संत, महंत और कथाकार उपस्थित थे।
भंडारे की विधि में मोरारी बापू और चित्रकूटधाम परिवार के समन्वय से सभी ने प्रार्थना और प्रसाद ग्रहण किया। विमान दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए संतवाणी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पूज्य मोरारी बापू ने इस कार्यक्रम को विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया।
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गांव से राष्ट्र निर्माण तक,कपिल शर्मा की प्रेरणादायक कहानी

नई दिल्ली : भारत में विकास की परिभाषा अक्सर बड़ी इमारतों, हाईवे और चमचमाते शहरों से जुड़ी होती है। लेकिन इन सबके पीछे वो लोग होते हैं, जो बिना चर्चा में आए, देश की असली नींव मजबूत करते हैं। कपिल शर्मा एक ऐसे ही सच्चे निर्माता हैं—जिनकी यात्रा खेतों और धूल भरी गलियों से शुरू होकर देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं तक पहुँची है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे कपिल ने बचपन में कठिनाइयों को नज़दीक से देखा। गांव में टूटी सड़कों, बरसात में बहते रास्तों और अनियमित जल आपूर्ति जैसी समस्याएं उनके जीवन का हिस्सा थीं। लेकिन उन्होंने इन परेशानियों को जीवन की बाधा नहीं, बदलाव की प्रेरणा बनाया।
शिक्षा और मेहनत के दम पर उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण में करियर चुना—और उन चुनौतियों की ओर बढ़े जहां ज़्यादातर लोग रुक जाते हैं।
टनकपुर नदी मोड़ परियोजना उनकी काबिलियत की असली परीक्षा थी। बाढ़ प्रभावित यह इलाका अत्यंत जोखिमभरा था। जहाँ कई कंपनियों ने पीछे हटने का फैसला किया, वहीं कपिल ने लीड लिया। उन्होंने न केवल परियोजना को समय से पहले पूरा किया, बल्कि सुरक्षा और गुणवत्ता के नए मानक भी स्थापित किए। इस सफलता ने उन्हें देशभर में जल संरचना विशेषज्ञ के रूप में एक अलग पहचान दी।
इसके बाद उनका सफर केवल आगे बढ़ता गया। उत्तर भारत की बर्फीली पहाड़ियों से लेकर सुदूर गांवों तक, कपिल ने ऐसे प्रोजेक्ट पूरे किए जो आम लोगों के जीवन में असली बदलाव लाते हैं। उनके बनाए पुल, बांध और सड़कों से अब न केवल लोग सुरक्षित यात्रा कर पाते हैं, बल्कि गांवों की अर्थव्यवस्था भी गतिशील हुई है।
सरकार की प्रतिष्ठित परियोजनाओं में नेतृत्व
कपिल शर्मा का नाम आज भारत सरकार की कई प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से जुड़ा है—जहां उनका कार्य राष्ट्रीय महत्त्व का हिस्सा बन चुका है।
🔸 ऊर्जा क्षेत्र में योगदान:
कपिल शर्मा ने NHPC के 600 मेगावाट और 300 मेगावाट जैसे पावरहाउस की संचालन व निगरानी में अहम भूमिका निभाई है। ये पावरहाउस लाखों घरों को बिजली की रौशनी देने के साथ-साथ देश की औद्योगिक प्रगति का आधार हैं।
🔸 उज्ज्वला योजना के तहत LPG नेटवर्क:
देशभर में गैस भंडारण डिपो, एलपीजी प्लांट और फिलिंग स्टेशन की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। इससे दूर-दराज़ गांवों में भी महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा सुलभ हुई, जिससे उनका स्वास्थ्य और सम्मान दोनों सुरक्षित हुए।
🔸 राष्ट्रीय राजमार्ग व पुल:
कपिल शर्मा NHAI की छह लेन हाईवे परियोजना और 19वें पुल निर्माण में लीड पार्टनर के रूप में कार्य कर चुके हैं। इन संरचनाओं ने न केवल आवाजाही को सरल बनाया, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को भी नया बल दिया।
🔸 शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्माण कार्य:
2024 में, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय (75 एकड़ परिसर) का निर्माण कपिल शर्मा की अगुवाई में रिकॉर्ड समय में हुआ। आज यह पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।
विकास में मानवता की सोच
कपिल शर्मा का मानना है कि सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को बदलना असली विकास है। यही वजह है कि वे हर परियोजना में श्रमिकों की सुरक्षा, स्थानीय युवाओं को रोज़गार और पर्यावरण संतुलन जैसे मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।
उनकी कार्यशैली में तकनीकी आधुनिकता और ज़मीनी सादगी का मेल है। वे केवल टेंडर के आंकड़े नहीं देखते—बल्कि यह सोचते हैं कि इससे कितने घरों में उजाला पहुंचेगा, कितने बच्चों को स्कूल का रास्ता मिलेगा, और कितनों की ज़िंदगी बेहतर होगी।
कपिल शर्मा उन लोगों के प्रतिनिधि हैं जो चुपचाप देश के निर्माण में लगे हैं—बिना तमगे के, बिना प्रचार के। उनकी सोच, समर्पण और सादगी आज के समय में एक मिसाल है।
“मकसद केवल निर्माण करना नहीं है, मकसद है विश्वास बनाना।”
विकास की असली परिभाषा कपिल जैसे कर्मयोगियों से मिलती है—जो मिट्टी से खड़े होकर, ईमानदारी से देश की नींव गढ़ते हैं।
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