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लाइफस्टाइल

बिजली नहीं, कोचिंग नहीं — फिर भी चंचल बनीं टॉपर, 99.83% के साथ चमकीं भरतपुर की बेटी

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नई दिल्ली, 7 जून : राजस्थान के भरतपुर ज़िले के एक छोटे से गाँव पंडेका से आने वाली 15 वर्षीय चंचल मेहरा ने RBSE कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में 500 में से 499 अंक हासिल किए हैं। 99.83% के साथ वह राज्य की टॉप करने वाली छात्राओं में शामिल हैं, यह साबित करते हुए कि संसाधनों की कमी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती, अगर इरादे मजबूत हों।

साधनसंसाधनों की सीमित पहुंच के बावजूद चंचल ने यह सफर तय किया है। वह संयुक्त परिवार में रहती हैंदादादादी, चाचाचाची, भाईबहन, सभी एक ही छत के नीचे। उनके पिता धर्मपाल लगभग 600 किलोमीटर दूर एक शहर में काम करते हैं, ताकि परिवार का भरणपोषण हो सके। इसका मतलब ये भी था कि इस बेहद अहम शैक्षणिक वर्ष में वे चंचल के साथ कम ही समय बिता पाए। चंचल की पढ़ाई और दिनचर्या की जिम्मेदारी मुख्यतः उनकी मां और छोटे भाई पर रही, जबकि पिता फोन पर सीमित बातचीत के ज़रिए उनका हौसला बढ़ाते रहे।

ऐसे दिन भी आए जब शाम को बिजली नहीं होती थी। इनवर्टर होने की वजह से मैं मम्मी का फोन भी चार्ज नहीं कर पाती थी जिससे ऑनलाइन क्लास देख सकूं,” चंचल याद करती हैं।उस समय तो लगा था कि शायद मैं परीक्षा भी पास कर पाऊं।

बिजली की अनियमित आपूर्ति, कोचिंग की गैरमौजूदगी और पढ़ाई के सीमित साधनों के बीच चंचल की तैयारी बहुत योजनाबद्ध नहीं थी। उन्होंने कोई सख़्त टाइमटेबल नहीं बनायाबल्कि छोटेछोटे समय निकालकर पढ़ाई की, घर के कामों और भाई के साथ खेलने के बीच।

अक्टूबर से उन्होंने गंभीरता से पढ़ाई शुरू की, लेकिन असली बदलाव जनवरी में आया जब परिवार ने घर में इनवर्टर लगवाया।बिजली बेहतर हुई तो मैंने मम्मी के फोन पर फिज़िक्सवाला की ऑनलाइन क्लास देखनी शुरू की। सुबह 5 बजे उठकर मैथ्स की क्लास लेती थी। समझना आसान हो गया,” चंचल बताती हैं।मैंने चैप्टर वाइज सिलेबस पूरा किया और लगातार पढ़ाई की।

हर सुबह चंचल बस से स्कूल जातीं, स्कूल में होमवर्क निपटातीं, और घर लौटकर शाम को बिजली मिलते ही रिवीजन करतीं। आत्मविश्वास धीरेधीरे बढ़ा।जब प्रश्न पत्र देखा तो लगा कि मैं कर लूंगी। टॉप करूंगी ये नहीं सोचा था, लेकिन पास ज़रूर हो जाऊंगी, ये भरोसा था।

हालात हमेशा चुनौतीपूर्ण रहेकभी कम बैटरी, तो कभी लंबे घंटों तक पढ़ाईलेकिन चंचल मानती हैं कि परिवार का सहयोग ही सबसे बड़ी ताक़त बना।हमारे पास बहुत कुछ नहीं था, लेकिन मैं उनसे हर बात कर सकती थी,” वह कहती हैं।

उनके पिता आज भी उनके सबसे बड़े सपोर्टर हैं।मेरा सपना है कि वह IAS अफसर बने। वह बहुत होशियार और मेहनती है। मैं उसे हर संभव सहायता दूंगा,” वे कहते हैं।

चंचल भी यही सपना देखती हैं, लेकिन सबसे पहले वह इंजीनियर बनना चाहती हैं। अगला लक्ष्य: JEE की तैयारी। उसके बाद, सिविल सेवा।

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मेगामॉडल वैशाली भाऊरजार को तीन बार सम्मानित कर चुके हैं सिंगर उदित नारायण

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मुंबई : नेशनल लेवल ग्लैडरैग्स मेगामॉडल अचीवर और ब्यूटी आइकन वैशाली भाऊरज़ार लीजेंड दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 2025 से सम्मानित हुई हैं। इस अवॉर्ड शो का आयोजन मुंबई स्थित क्लासिक क्लब में हुआ। प्रसिद्ध बॉलीवुड गायक पद्मश्री उदित नारायण के हाथों उन्हें यह सम्मान मिला। यह तीसरी दफा है जब उन्हें उदित नारायण के हाथों सम्मान प्राप्त हुआ है। इससे पहले भी वैशाली को पद्मश्री उदित नारायण के हाथों सुपर ह्यूमन एक्सीलेंस अवार्ड 2024 और मुम्बई ग्लोबल की ओर से अखण्ड भारत गौरव अवार्ड 2024 का अवार्ड मिल चुका है।
लीजेंड दादा साहेब फाल्के अवार्ड में सिंगर सुदेश भोसले, संगीतकार दिलीप सेन, अभिनेता अली खान, सानंद वर्मा और एसीपी संजय पाटिल के अलावा बॉलीवुड के कई नामचीन शख्सियत मौजूद थे। वैशाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी है। कुछ समय पहले ही उन्हें नेहरू युवा केन्द्र मुम्बई द्वारा महाराष्ट्र मिनिस्ट्री ऑफ युथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स की ओर से राष्ट्रीय सम्मान चिन्ह प्राप्त हुआ था। वैशाली आज बड़ी ब्रांडो का पसंदीदा चेहरा बन गयी है। मेगामॉडल वैशाली भाऊरज़ार को पद्मश्री उदित नारायण की पत्नी दीपा नारायण के हाथों मिस इंडिया विनर का अवार्ड मिल चुका है। इस ब्यूटी पेजेंट शो की वह विनर रही।
वर्तमान समय में मेगा मॉडल वैशाली का परफॉर्मेंस उच्च दर्जे का है। वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां और ख्याति प्राप्त कर रही हैं। अपनी विशेष खूबियों और कौशल के कारण कई राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में जीत हासिल कर चुकी है। कुछ समय पहले एक एनजीओ के साथ मिलकर बॉलीवुड महाआरोग्य कैम्प के आयोजन में उनकी सहभागिता भी देखी गई, जहाँ बॉलीवुड तथा मीडिया के लोगों के लिए निःशुल्क चिकित्सीय सेवायें उपलब्ध कराई गई थी। उन्होंने कोविड के समय कोविड प्रोडक्ट्स की ब्रांडिंग के विज्ञापन भी किये हैं। जन जागरूक करने वाले विज्ञापन हैं जैसे डोंट ड्रिंक एंड ड्राइव के प्रति सतर्कता आदि। साथ ही बीएसएनएल और कई छोटे बड़े विज्ञापन भी उन्होंने किये हैं।
वैशाली ने एक छोटे से शहर से लेकर महानगर में अपनी छवि बनाने के लिए काफी मेहनत की है। वैसे उनकी मॉडल बनने की कहानी काफी दिलचस्प और प्रेरणादायक है। वैशाली प्रारंभ में एयर होस्टेस बनना चाहती थी और वह बनी भी। किंगफिशर एयरलाइंस के साथ उन्होंने एक्स कैबिन क्रू (एयरहोस्टेस) के रूप में काम भी किया। आज अपनी मेहनत और किस्मत के कारण नेशनल लेवल अचीवर है। वह अपनी कड़ी मेहनत और लगन से लगातार अपने कर्मपथ आगे बढ़ रही है और कई ब्रांड्स व युवाओं का पसंदीदा चेहरा बन रही है।
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स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

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अहमदाबाद (गुजरात), जून 16 :लगाजरडा में श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे में विमान दुर्घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के साथ मोरारी बापू ने संतोंमहंतों की उपस्थिति में व्यक्त किए भाव।

 

दिनांक 13 जून की संध्या को तलगाजरडा में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राम कथा वाचक मोरारी बापू की धर्मपत्नी श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे के अवसर पर, संतों और महंतों की उपस्थिति में बापू ने सभी के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट कीं और कहा कि स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही साधु के पंचतत्व हैं।

 

अहमदाबाद विमान दुर्घटना की पीड़ा और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए, पूज्य मोरारी बापू ने एक आदर्श साधु की परिभाषा देते हुए कहा कि ये पंच गुण एक सच्चे साधु की पहचान हैं। उन्होंने प्रत्येक तत्व पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला और जोड़ा कि साधु लाभ के लिए नहीं, बल्कि शुभ के लिए कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज द्वारा साधु के प्रति श्रद्धा रहती है, परंतु साधु को सहनशील भी होना पड़ता है।

 

इस भंडारे में श्री सतुआ बाबा, श्री अंशु बापू, श्री दुर्गादास बापू, श्री ललितकिशोर महाराज, श्री जानकीदास बापू, श्री राम बालकदासजी बापू, श्री निर्मला बा, श्री निजानंदजी स्वामी, श्री दलपतराम पधियारजी, श्री दयागीरी बापू, श्री जयदेवदासजी, श्री राजेंद्रप्रसाद शास्त्री, श्री रामेश्वरदासजी हरियाणी, श्री भक्तिराम बापू, श्री घनश्याम बापू आदि अनेक संत, महंत और कथाकार उपस्थित थे।

 

भंडारे की विधि में मोरारी बापू और चित्रकूटधाम परिवार के समन्वय से सभी ने प्रार्थना और प्रसाद ग्रहण किया। विमान दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए संतवाणी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पूज्य मोरारी बापू ने इस कार्यक्रम को विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया।

 

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गांव से राष्ट्र निर्माण तक,कपिल शर्मा की प्रेरणादायक कहानी

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नई दिल्ली : भारत में विकास की परिभाषा अक्सर बड़ी इमारतों, हाईवे और चमचमाते शहरों से जुड़ी होती है। लेकिन इन सबके पीछे वो लोग होते हैं, जो बिना चर्चा में आए, देश की असली नींव मजबूत करते हैं। कपिल शर्मा एक ऐसे ही सच्चे निर्माता हैं—जिनकी यात्रा खेतों और धूल भरी गलियों से शुरू होकर देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं तक पहुँची है।

 

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे कपिल ने बचपन में कठिनाइयों को नज़दीक से देखा। गांव में टूटी सड़कों, बरसात में बहते रास्तों और अनियमित जल आपूर्ति जैसी समस्याएं उनके जीवन का हिस्सा थीं। लेकिन उन्होंने इन परेशानियों को जीवन की बाधा नहीं, बदलाव की प्रेरणा बनाया।

 

शिक्षा और मेहनत के दम पर उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण में करियर चुना—और उन चुनौतियों की ओर बढ़े जहां ज़्यादातर लोग रुक जाते हैं।

 

टनकपुर नदी मोड़ परियोजना उनकी काबिलियत की असली परीक्षा थी। बाढ़ प्रभावित यह इलाका अत्यंत जोखिमभरा था। जहाँ कई कंपनियों ने पीछे हटने का फैसला किया, वहीं कपिल ने लीड लिया। उन्होंने न केवल परियोजना को समय से पहले पूरा किया, बल्कि सुरक्षा और गुणवत्ता के नए मानक भी स्थापित किए। इस सफलता ने उन्हें देशभर में जल संरचना विशेषज्ञ के रूप में एक अलग पहचान दी।

 

इसके बाद उनका सफर केवल आगे बढ़ता गया। उत्तर भारत की बर्फीली पहाड़ियों से लेकर सुदूर गांवों तक, कपिल ने ऐसे प्रोजेक्ट पूरे किए जो आम लोगों के जीवन में असली बदलाव लाते हैं। उनके बनाए पुल, बांध और सड़कों से अब न केवल लोग सुरक्षित यात्रा कर पाते हैं, बल्कि गांवों की अर्थव्यवस्था भी गतिशील हुई है।

 

सरकार की प्रतिष्ठित परियोजनाओं में नेतृत्व

 

कपिल शर्मा का नाम आज भारत सरकार की कई प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से जुड़ा है—जहां उनका कार्य राष्ट्रीय महत्त्व का हिस्सा बन चुका है।

 

🔸 ऊर्जा क्षेत्र में योगदान:

कपिल शर्मा ने NHPC के 600 मेगावाट और 300 मेगावाट जैसे पावरहाउस की संचालन व निगरानी में अहम भूमिका निभाई है। ये पावरहाउस लाखों घरों को बिजली की रौशनी देने के साथ-साथ देश की औद्योगिक प्रगति का आधार हैं।

 

🔸 उज्ज्वला योजना के तहत LPG नेटवर्क:

देशभर में गैस भंडारण डिपो, एलपीजी प्लांट और फिलिंग स्टेशन की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। इससे दूर-दराज़ गांवों में भी महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा सुलभ हुई, जिससे उनका स्वास्थ्य और सम्मान दोनों सुरक्षित हुए।

 

🔸 राष्ट्रीय राजमार्ग व पुल:

कपिल शर्मा NHAI की छह लेन हाईवे परियोजना और 19वें पुल निर्माण में लीड पार्टनर के रूप में कार्य कर चुके हैं। इन संरचनाओं ने न केवल आवाजाही को सरल बनाया, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को भी नया बल दिया।

 

🔸 शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्माण कार्य:

2024 में, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय (75 एकड़ परिसर) का निर्माण कपिल शर्मा की अगुवाई में रिकॉर्ड समय में हुआ। आज यह पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।

 

विकास में मानवता की सोच

 

कपिल शर्मा का मानना है कि सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को बदलना असली विकास है। यही वजह है कि वे हर परियोजना में श्रमिकों की सुरक्षा, स्थानीय युवाओं को रोज़गार और पर्यावरण संतुलन जैसे मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।

 

उनकी कार्यशैली में तकनीकी आधुनिकता और ज़मीनी सादगी का मेल है। वे केवल टेंडर के आंकड़े नहीं देखते—बल्कि यह सोचते हैं कि इससे कितने घरों में उजाला पहुंचेगा, कितने बच्चों को स्कूल का रास्ता मिलेगा, और कितनों की ज़िंदगी बेहतर होगी।

कपिल शर्मा उन लोगों के प्रतिनिधि हैं जो चुपचाप देश के निर्माण में लगे हैं—बिना तमगे के, बिना प्रचार के। उनकी सोच, समर्पण और सादगी आज के समय में एक मिसाल है।

 

“मकसद केवल निर्माण करना नहीं है, मकसद है विश्वास बनाना।”

 

विकास की असली परिभाषा कपिल जैसे कर्मयोगियों से मिलती है—जो मिट्टी से खड़े होकर, ईमानदारी से देश की नींव गढ़ते हैं।

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