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महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 दादूजी महाराज: समाज सेवा और आध्यात्मिक जागरूकता में अपूर्व योगदान

दिल्ली, सितम्बर 14 : महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 दादूजी महाराज ने समाज सेवा के क्षेत्र में अपूर्व योगदान दिया है। उनकी कार्यशैली और समर्पण ने उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों में अत्यंत सम्मानित और प्रभावशाली बना दिया है। महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 दादूजी महाराज के भक्त अनुयायि देश और विदेश हर जगह व्याप्त हैं। महाराज के कार्यक्षेत्र काफी व्यापक हैं और उनके द्वारा किए गए समाज सेवा से हर वर्ग के लोग लाभान्वित होते हैं। महाराजजी नियमित रूप से धार्मिक कार्य जैसे शनि यज्ञ,लक्ष्मीनारायण यज्ञ सुंदरकांड पाठ और दिव्य अनुष्ठान का आयोजन करते रहते हैं। इसके माध्यम से वे समाज में और आज के युवा पीढ़ी में भक्ति भाव तथा आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने और लोगों को सद्मार्ग की प्रेरणा देते हैं।
उनके कार्यों की व्यापकता ने उन्हें बाल शिक्षा, गरीबों की सहायता, दिव्यांगों की सेवा, और स्वास्थ्य देखभाल जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सक्रिय बना दिया है। वे गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल की फीस, अध्ययन सामग्री और अन्य जरूरी चीजें प्रदान करते हैं। गरीबों को भोजन, वस्त्र, और दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए वे सदैव तत्पर रहते हैं। उनके इन प्रयासों से कई दिव्यांग व्यक्ति एक सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सके हैं। कई गरीब बच्चों को शिक्षा मिल पाया है ताकि वे बच्चे आगे चलकर भविष्य में आत्मनिर्भर बन सके।
टीबी रोगियों की सहायता, छोटे व्यापारियों को सहयोग, और कोरोना महामारी के दौरान राहत कार्य भी उनके कार्यों में शामिल हैं। वे कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों को भोजन पानी और अन्य आवश्यक सामग्री प्रदान किये। पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के लिए भी काढ़ा आदि की पर्याप्त व्यवस्था की। धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के माध्यम से वे समाज में जागरूकता और प्रेरणा फैलाते हैं। गुरु जी के प्रवचन और प्रेरणादायक सूत्रों के माध्यम से लाखों करोड़ों लोगों को जीवन में सही दिशा एवं सद मार्ग प्राप्त करने का मार्गदर्शन मिला है। उनका संपूर्ण जीवन समाज सेवा और लोगों के भलाई के लिए ही न्योछावर है।
उनकी सामाजिक सेवाओं की मान्यता के रूप में, वे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके हैं, जैसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक सेवा अवार्ड 2024 में और राष्ट्र संत श्री गाडगे बाबा अवार्ड 2023 में और मानव रत्न सम्मान से शंकराचार्य द्वारा सम्मानित भी हुए हैं। इसके अलावा देश विदेश में 100 से अधिक पुरस्कारों,15 से अधिक स्वर्ण पदकों और अवार्ड से भी गुरु महाराज को नवाजा गया है। महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 दादूजी महाराज स्वयं ही 20 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। वे 50 से अधिक धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के संरक्षक भी हैं गुरु जी के व्यक्तित्व विचारों पर पुणे के लेखक विजय विश्वरूप द्वारा पुस्तक भी लिखी गई है। गुरुजी विधवा विवाह और नेत्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं।
राष्ट्र संत दादूजी महाराज का जीवन और कार्य समाज के लिए पूरी तरह से समर्पण है, जो धर्म और कर्म को समान महत्व देते हुए समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। दादू महाराज की सेवाएं समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कार्यशैली और समाज सेवा के प्रति उनकी निष्ठा हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है। महाराज जी के जीवन का उद्देश्य केवल और केवल इतना ही है कि हर व्यक्ति को सही दिशा मिल सके। तथा लोगों के अंदर सद्भावना का विचार हो। आज की युवा पीढ़ी अपने मार्ग से विचलित ना हो सके इसी आशा के साथ गुरुजी कुष्ठ रोगियों के आश्रम और जेल के कैदियों को मुख्य धारा में लाने के लिए अपने समाज सेवा में निरंतरलगेरहतेहैं।
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मेगामॉडल वैशाली भाऊरजार को तीन बार सम्मानित कर चुके हैं सिंगर उदित नारायण

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स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

अहमदाबाद (गुजरात), जून 16 :लगाजरडा में श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे में विमान दुर्घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के साथ मोरारी बापू ने संतों–महंतों की उपस्थिति में व्यक्त किए भाव।
दिनांक 13 जून की संध्या को तलगाजरडा में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राम कथा वाचक मोरारी बापू की धर्मपत्नी श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे के अवसर पर, संतों और महंतों की उपस्थिति में बापू ने सभी के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट कीं और कहा कि स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही साधु के पंचतत्व हैं।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की पीड़ा और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए, पूज्य मोरारी बापू ने एक आदर्श साधु की परिभाषा देते हुए कहा कि ये पंच गुण एक सच्चे साधु की पहचान हैं। उन्होंने प्रत्येक तत्व पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला और जोड़ा कि साधु लाभ के लिए नहीं, बल्कि शुभ के लिए कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज द्वारा साधु के प्रति श्रद्धा रहती है, परंतु साधु को सहनशील भी होना पड़ता है।
इस भंडारे में श्री सतुआ बाबा, श्री अंशु बापू, श्री दुर्गादास बापू, श्री ललितकिशोर महाराज, श्री जानकीदास बापू, श्री राम बालकदासजी बापू, श्री निर्मला बा, श्री निजानंदजी स्वामी, श्री दलपतराम पधियारजी, श्री दयागीरी बापू, श्री जयदेवदासजी, श्री राजेंद्रप्रसाद शास्त्री, श्री रामेश्वरदासजी हरियाणी, श्री भक्तिराम बापू, श्री घनश्याम बापू आदि अनेक संत, महंत और कथाकार उपस्थित थे।
भंडारे की विधि में मोरारी बापू और चित्रकूटधाम परिवार के समन्वय से सभी ने प्रार्थना और प्रसाद ग्रहण किया। विमान दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए संतवाणी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पूज्य मोरारी बापू ने इस कार्यक्रम को विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया।
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गांव से राष्ट्र निर्माण तक,कपिल शर्मा की प्रेरणादायक कहानी

नई दिल्ली : भारत में विकास की परिभाषा अक्सर बड़ी इमारतों, हाईवे और चमचमाते शहरों से जुड़ी होती है। लेकिन इन सबके पीछे वो लोग होते हैं, जो बिना चर्चा में आए, देश की असली नींव मजबूत करते हैं। कपिल शर्मा एक ऐसे ही सच्चे निर्माता हैं—जिनकी यात्रा खेतों और धूल भरी गलियों से शुरू होकर देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं तक पहुँची है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे कपिल ने बचपन में कठिनाइयों को नज़दीक से देखा। गांव में टूटी सड़कों, बरसात में बहते रास्तों और अनियमित जल आपूर्ति जैसी समस्याएं उनके जीवन का हिस्सा थीं। लेकिन उन्होंने इन परेशानियों को जीवन की बाधा नहीं, बदलाव की प्रेरणा बनाया।
शिक्षा और मेहनत के दम पर उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण में करियर चुना—और उन चुनौतियों की ओर बढ़े जहां ज़्यादातर लोग रुक जाते हैं।
टनकपुर नदी मोड़ परियोजना उनकी काबिलियत की असली परीक्षा थी। बाढ़ प्रभावित यह इलाका अत्यंत जोखिमभरा था। जहाँ कई कंपनियों ने पीछे हटने का फैसला किया, वहीं कपिल ने लीड लिया। उन्होंने न केवल परियोजना को समय से पहले पूरा किया, बल्कि सुरक्षा और गुणवत्ता के नए मानक भी स्थापित किए। इस सफलता ने उन्हें देशभर में जल संरचना विशेषज्ञ के रूप में एक अलग पहचान दी।
इसके बाद उनका सफर केवल आगे बढ़ता गया। उत्तर भारत की बर्फीली पहाड़ियों से लेकर सुदूर गांवों तक, कपिल ने ऐसे प्रोजेक्ट पूरे किए जो आम लोगों के जीवन में असली बदलाव लाते हैं। उनके बनाए पुल, बांध और सड़कों से अब न केवल लोग सुरक्षित यात्रा कर पाते हैं, बल्कि गांवों की अर्थव्यवस्था भी गतिशील हुई है।
सरकार की प्रतिष्ठित परियोजनाओं में नेतृत्व
कपिल शर्मा का नाम आज भारत सरकार की कई प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से जुड़ा है—जहां उनका कार्य राष्ट्रीय महत्त्व का हिस्सा बन चुका है।
🔸 ऊर्जा क्षेत्र में योगदान:
कपिल शर्मा ने NHPC के 600 मेगावाट और 300 मेगावाट जैसे पावरहाउस की संचालन व निगरानी में अहम भूमिका निभाई है। ये पावरहाउस लाखों घरों को बिजली की रौशनी देने के साथ-साथ देश की औद्योगिक प्रगति का आधार हैं।
🔸 उज्ज्वला योजना के तहत LPG नेटवर्क:
देशभर में गैस भंडारण डिपो, एलपीजी प्लांट और फिलिंग स्टेशन की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। इससे दूर-दराज़ गांवों में भी महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा सुलभ हुई, जिससे उनका स्वास्थ्य और सम्मान दोनों सुरक्षित हुए।
🔸 राष्ट्रीय राजमार्ग व पुल:
कपिल शर्मा NHAI की छह लेन हाईवे परियोजना और 19वें पुल निर्माण में लीड पार्टनर के रूप में कार्य कर चुके हैं। इन संरचनाओं ने न केवल आवाजाही को सरल बनाया, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को भी नया बल दिया।
🔸 शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्माण कार्य:
2024 में, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय (75 एकड़ परिसर) का निर्माण कपिल शर्मा की अगुवाई में रिकॉर्ड समय में हुआ। आज यह पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।
विकास में मानवता की सोच
कपिल शर्मा का मानना है कि सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को बदलना असली विकास है। यही वजह है कि वे हर परियोजना में श्रमिकों की सुरक्षा, स्थानीय युवाओं को रोज़गार और पर्यावरण संतुलन जैसे मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।
उनकी कार्यशैली में तकनीकी आधुनिकता और ज़मीनी सादगी का मेल है। वे केवल टेंडर के आंकड़े नहीं देखते—बल्कि यह सोचते हैं कि इससे कितने घरों में उजाला पहुंचेगा, कितने बच्चों को स्कूल का रास्ता मिलेगा, और कितनों की ज़िंदगी बेहतर होगी।
कपिल शर्मा उन लोगों के प्रतिनिधि हैं जो चुपचाप देश के निर्माण में लगे हैं—बिना तमगे के, बिना प्रचार के। उनकी सोच, समर्पण और सादगी आज के समय में एक मिसाल है।
“मकसद केवल निर्माण करना नहीं है, मकसद है विश्वास बनाना।”
विकास की असली परिभाषा कपिल जैसे कर्मयोगियों से मिलती है—जो मिट्टी से खड़े होकर, ईमानदारी से देश की नींव गढ़ते हैं।
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