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एक उद्देश्य के साथ नेतृत्व – जनता की आवाज़: सुनिल यादव की कहानी।

नई दिल्ली : आज की राजनीति में जहां अक्सर पद और प्रचार की होड़ लगी रहती है, वहीं राजस्थान के श्रीमाधोपुर से निकले एक युवा नेता ने राजनीति को सेवा का माध्यम बना दिया है।
सुनिल यादव, एक निडर, बेदाग छवि के और जनता के लिए समर्पित युवा नेता हैं, जिनका जीवन उद्देश्य है –
“छात्रों को ताक़त देना, किसानों को सम्मान दिलाना और राजनीति को जनसेवा में बदलना।”
राजस्थान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में, और NSUI राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में, सुनिल यादव न केवल ज़मीनी मुद्दों की आवाज़ हैं, बल्कि उन समस्याओं का समाधान करने का प्रयास भी करते हैं, जो आमजन से जुड़ी हैं।
राजस्थान की मिट्टी में पले-बढ़े सुनिल ने बचपन से ही किसानों की समस्याओं और ग्रामीण युवाओं की शिक्षा में बाधाओं को देखा। इन्हीं अनुभवों ने उनके भीतर एक उद्देश्य जगा दिया –
“सिर्फ़ राजनीति नहीं, जनसेवा मेरा प्रथम और अंतिम उद्देश्य है।”
कॉलेज स्तर पर छात्र राजनीति से शुरू हुआ उनका यह सफ़र, गांव-गांव में चलाए गए जागरूकता अभियानों तक फैला। उनका ज़मीनी जुड़ाव, सच्ची बात को साफ़ तरीके से कहने का साहस और लोगों से सीधे संवाद की कला ने उन्हें एक मजबूत जननेता बना दिया।
राजनीति में उनका सफ़र किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा। राजस्थान विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनावों की कमान संभालने वाले सुनिल ने धीरे-धीरे अपनी कार्यशैली और विचारों का प्रभाव पूरे राज्य में फैलाया। एक ओर जहां वे NSUI राजस्थान के अध्यक्ष पद के लिए युवा वर्ग की पहली पसंद बन चुके हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों के मुद्दों को लेकर वे भारतीय किसान यूनियन के माध्यम से लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। उन्होंने छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा व्यवस्था, पारदर्शी चुनाव प्रणाली, और छात्रसंघ की स्वतंत्रता जैसे विषयों को प्रमुखता दी है। किसानों के लिए वे न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, ऋण माफी, और आधुनिक कृषि तकनीकों की मांग को मजबूती से उठाते रहे हैं। गांवों और कस्बों में उन्होंने स्वास्थ्य शिविर, रक्तदान कैंप और ग्रामीण जागरूकता अभियान जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए सामाजिक विकास में भी अपनी भूमिका निभाई है।
सुनिल यादव का व्यक्तित्व केवल एक राजनेता तक सीमित नहीं है। वे समाजसेवी हैं, जिनके कार्य भाषणों से नहीं बल्कि कर्मों से बोलते हैं। महामारी के दौर में जब लोग घरों में बंद थे, तब सुनिल और उनकी टीम ज़रूरतमंदों तक राशन, दवाइयां और सहायता पहुंचा रही थी। उन्होंने कई बार रक्तदान शिविर आयोजित किए, अनाथ बच्चों के लिए मदद पहुंचाई और गांवों में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए। उनके लिए सेवा केवल मंच से बोलना नहीं, ज़मीन पर उतरकर बदलाव लाना है।
सुनिल यादव मानते हैं कि राजनीति पद के लिए नहीं, बल्कि उद्देश्य के लिए होनी चाहिए। उनका सपना एक ऐसा राजस्थान है, जहां हर छात्र को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती शिक्षा मिले, हर किसान को उसके पसीने की कीमत और सम्मान मिल सके, और हर युवा सामाजिक और राजनीतिक रूप से जागरूक बने। वे एक ऐसी राजनीति की कल्पना करते हैं, जहां जवाबदेही हो, भ्रष्टाचार न हो, और विकास हर वर्ग तक पहुंचे। उनका मानना है कि युवाओं की भागीदारी के बिना कोई भी बदलाव स्थायी नहीं हो सकता, और यही वजह है कि वे युवाओं को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
चाहे वह राजस्थान यूनिवर्सिटी में NSUI की रैली का नेतृत्व हो या जयपुर में किसानों के साथ सड़कों पर बैठकर उनका दर्द साझा करना, सुनिल हर मोर्चे पर डटे रहे हैं। उनके द्वारा आयोजित रक्तदान शिविरों में सैकड़ों युवा जुड़ते हैं, और श्रीमाधोपुर जैसे क्षेत्र में वे युवाओं से सीधा संवाद कर समाज के मुद्दों को समझते हैं। उनके जीवन की तस्वीरें केवल कैमरे में कैद नहीं होतीं, वे लोगों के दिलों में बसती हैं।
सुनिल यादव मानते हैं कि सच्चा बदलाव सामूहिक प्रयास से आता है। चाहे आप छात्र हों, किसान हों या एक जागरूक नागरिक – इस जन आंदोलन में आपकी जगह सुनिश्चित है।
यह केवल एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि जनता का आंदोलन है।
जहाँ युवा नेतृत्व में हैं और सच्चाई और ईमानदारी उनकी प्राथमिकता में है, वहाँ से एक नई राजनीति जन्म लेती है।
सुनिल यादव उसी राजनीति के प्रतीक हैं – उम्मीद, हिम्मत और बदलाव के।
“अभी तो शुरुआत है… बदलाव का कारवां बनना बाक़ी है, और आप उसका हिस्सा हो सकते हैं।”
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स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

अहमदाबाद (गुजरात), जून 16 :लगाजरडा में श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे में विमान दुर्घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के साथ मोरारी बापू ने संतों–महंतों की उपस्थिति में व्यक्त किए भाव।
दिनांक 13 जून की संध्या को तलगाजरडा में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राम कथा वाचक मोरारी बापू की धर्मपत्नी श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे के अवसर पर, संतों और महंतों की उपस्थिति में बापू ने सभी के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट कीं और कहा कि स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही साधु के पंचतत्व हैं।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की पीड़ा और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए, पूज्य मोरारी बापू ने एक आदर्श साधु की परिभाषा देते हुए कहा कि ये पंच गुण एक सच्चे साधु की पहचान हैं। उन्होंने प्रत्येक तत्व पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला और जोड़ा कि साधु लाभ के लिए नहीं, बल्कि शुभ के लिए कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज द्वारा साधु के प्रति श्रद्धा रहती है, परंतु साधु को सहनशील भी होना पड़ता है।
इस भंडारे में श्री सतुआ बाबा, श्री अंशु बापू, श्री दुर्गादास बापू, श्री ललितकिशोर महाराज, श्री जानकीदास बापू, श्री राम बालकदासजी बापू, श्री निर्मला बा, श्री निजानंदजी स्वामी, श्री दलपतराम पधियारजी, श्री दयागीरी बापू, श्री जयदेवदासजी, श्री राजेंद्रप्रसाद शास्त्री, श्री रामेश्वरदासजी हरियाणी, श्री भक्तिराम बापू, श्री घनश्याम बापू आदि अनेक संत, महंत और कथाकार उपस्थित थे।
भंडारे की विधि में मोरारी बापू और चित्रकूटधाम परिवार के समन्वय से सभी ने प्रार्थना और प्रसाद ग्रहण किया। विमान दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए संतवाणी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पूज्य मोरारी बापू ने इस कार्यक्रम को विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया।
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गांव से राष्ट्र निर्माण तक,कपिल शर्मा की प्रेरणादायक कहानी

नई दिल्ली : भारत में विकास की परिभाषा अक्सर बड़ी इमारतों, हाईवे और चमचमाते शहरों से जुड़ी होती है। लेकिन इन सबके पीछे वो लोग होते हैं, जो बिना चर्चा में आए, देश की असली नींव मजबूत करते हैं। कपिल शर्मा एक ऐसे ही सच्चे निर्माता हैं—जिनकी यात्रा खेतों और धूल भरी गलियों से शुरू होकर देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं तक पहुँची है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे कपिल ने बचपन में कठिनाइयों को नज़दीक से देखा। गांव में टूटी सड़कों, बरसात में बहते रास्तों और अनियमित जल आपूर्ति जैसी समस्याएं उनके जीवन का हिस्सा थीं। लेकिन उन्होंने इन परेशानियों को जीवन की बाधा नहीं, बदलाव की प्रेरणा बनाया।
शिक्षा और मेहनत के दम पर उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण में करियर चुना—और उन चुनौतियों की ओर बढ़े जहां ज़्यादातर लोग रुक जाते हैं।
टनकपुर नदी मोड़ परियोजना उनकी काबिलियत की असली परीक्षा थी। बाढ़ प्रभावित यह इलाका अत्यंत जोखिमभरा था। जहाँ कई कंपनियों ने पीछे हटने का फैसला किया, वहीं कपिल ने लीड लिया। उन्होंने न केवल परियोजना को समय से पहले पूरा किया, बल्कि सुरक्षा और गुणवत्ता के नए मानक भी स्थापित किए। इस सफलता ने उन्हें देशभर में जल संरचना विशेषज्ञ के रूप में एक अलग पहचान दी।
इसके बाद उनका सफर केवल आगे बढ़ता गया। उत्तर भारत की बर्फीली पहाड़ियों से लेकर सुदूर गांवों तक, कपिल ने ऐसे प्रोजेक्ट पूरे किए जो आम लोगों के जीवन में असली बदलाव लाते हैं। उनके बनाए पुल, बांध और सड़कों से अब न केवल लोग सुरक्षित यात्रा कर पाते हैं, बल्कि गांवों की अर्थव्यवस्था भी गतिशील हुई है।
सरकार की प्रतिष्ठित परियोजनाओं में नेतृत्व
कपिल शर्मा का नाम आज भारत सरकार की कई प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से जुड़ा है—जहां उनका कार्य राष्ट्रीय महत्त्व का हिस्सा बन चुका है।
🔸 ऊर्जा क्षेत्र में योगदान:
कपिल शर्मा ने NHPC के 600 मेगावाट और 300 मेगावाट जैसे पावरहाउस की संचालन व निगरानी में अहम भूमिका निभाई है। ये पावरहाउस लाखों घरों को बिजली की रौशनी देने के साथ-साथ देश की औद्योगिक प्रगति का आधार हैं।
🔸 उज्ज्वला योजना के तहत LPG नेटवर्क:
देशभर में गैस भंडारण डिपो, एलपीजी प्लांट और फिलिंग स्टेशन की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। इससे दूर-दराज़ गांवों में भी महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा सुलभ हुई, जिससे उनका स्वास्थ्य और सम्मान दोनों सुरक्षित हुए।
🔸 राष्ट्रीय राजमार्ग व पुल:
कपिल शर्मा NHAI की छह लेन हाईवे परियोजना और 19वें पुल निर्माण में लीड पार्टनर के रूप में कार्य कर चुके हैं। इन संरचनाओं ने न केवल आवाजाही को सरल बनाया, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को भी नया बल दिया।
🔸 शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्माण कार्य:
2024 में, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय (75 एकड़ परिसर) का निर्माण कपिल शर्मा की अगुवाई में रिकॉर्ड समय में हुआ। आज यह पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।
विकास में मानवता की सोच
कपिल शर्मा का मानना है कि सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को बदलना असली विकास है। यही वजह है कि वे हर परियोजना में श्रमिकों की सुरक्षा, स्थानीय युवाओं को रोज़गार और पर्यावरण संतुलन जैसे मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।
उनकी कार्यशैली में तकनीकी आधुनिकता और ज़मीनी सादगी का मेल है। वे केवल टेंडर के आंकड़े नहीं देखते—बल्कि यह सोचते हैं कि इससे कितने घरों में उजाला पहुंचेगा, कितने बच्चों को स्कूल का रास्ता मिलेगा, और कितनों की ज़िंदगी बेहतर होगी।
कपिल शर्मा उन लोगों के प्रतिनिधि हैं जो चुपचाप देश के निर्माण में लगे हैं—बिना तमगे के, बिना प्रचार के। उनकी सोच, समर्पण और सादगी आज के समय में एक मिसाल है।
“मकसद केवल निर्माण करना नहीं है, मकसद है विश्वास बनाना।”
विकास की असली परिभाषा कपिल जैसे कर्मयोगियों से मिलती है—जो मिट्टी से खड़े होकर, ईमानदारी से देश की नींव गढ़ते हैं।
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