लाइफस्टाइल
फॉरएवर फैशन वीक 2024: डिज़ाइनर्स, मॉडल्स और विज़नरीज़ का भव्य संगम

भारत की पहली “फैशन वीक” सीरीज, जो गूगल पर प्रदर्शित की जाएगी, फॉरएवर फैशन वीक 2024 फैशन इंडस्ट्री को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सृजनात्मकता, विविधता और प्रतिभा का उत्सव मनाने का वादा करता है, जहां भारतीय मॉडल्स, डिज़ाइनर्स और ब्रांड्स की चमक बिखरेगी।
यह इवेंट जयपुर के ज़ी स्टूडियो में आयोजित होगा, जहां 70 से अधिक मॉडल्स अपने-अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इन मॉडल्स को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स के माध्यम से चुना गया है और छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद वे रनवे पर विश्वस्तरीय परफॉर्मेंस देंगे।
इस शो का नेतृत्व राजेश अग्रवाल (संस्थापक और निदेशक) और जया चौहान (कंपनी निदेशक) कर रहे हैं। यह शो मशहूर डिज़ाइनर्स, मेकअप आर्टिस्ट्स और टॉप मॉडल्स को एक साथ लाकर सृजनात्मकता और नवाचार का उत्सव मनाएगा।
फॉरएवर फैशन वीक 2024 केवल एक फैशन इवेंट नहीं है; यह भारत की समृद्ध प्रतिभा और सृजनात्मकता को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने का एक परिवर्तनकारी प्लेटफॉर्म है।
इस कार्यक्रम में 70 से अधिक मॉडल्स, जो अपने-अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, छह महीने की पेशेवर ट्रेनिंग के बाद रनवे पर विश्वस्तरीय परफॉर्मेंस देंगे। इन मॉडल्स को सख्त चयन प्रक्रिया के जरिए चुना गया है ताकि बेहतरीन गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
मशहूर कोरियोग्राफर शाई लोबो और उनकी टीम अपने अनुभव के साथ इस इवेंट में रनवे को एक विजुअल मास्टरपीस में बदल देंगे। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के डिज़ाइनर्स और मेकअप आर्टिस्ट्स अपनी प्रतिभा और कलेक्शन्स प्रस्तुत करेंगे, जो फैशन का एक वैश्विक उत्सव होगा।
भारतीय फैशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के प्रयास में, फॉरएवर फैशन वीक 2024 उभरते हुए भारतीय ब्रांड्स को अपने कलेक्शन्स को प्रमोट करने के लिए एक प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा। मॉडल्स और डिज़ाइनर्स के साथ यह सहयोग इन ब्रांड्स की दृश्यता को घरेलू और वैश्विक बाज़ारों में बढ़ाएगा।
इस कार्यक्रम के विज़नरी राजेश अग्रवाल ने अपनी उत्सुकता साझा करते हुए कहा:
“भारत में पहली बार, हम ऐसा प्लेटफॉर्म बना रहे हैं जो नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देगा और उन्हें अंतरराष्ट्रीय अवसरों के लिए तैयार करेगा। यह इवेंट भारत की फैशन और सृजनात्मकता को दुनिया के सामने पेश करने का उद्देश्य रखता है, जिससे भारतीय डिज़ाइनर्स, मॉडल्स और कलाकारों के लिए उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।”
इस इवेंट में प्रसिद्ध डिज़ाइनर्स जैसे अलोरा बाय अर्शनाज़, स्वयम गुरंग, सानोसानाज़ बाय सैयद सनौफर, जीके मिलान बाय गीतांजलि कपूर, सादिकरज़ा डिज़ाइनर स्टूडियो, और ज़ेनाब्स बाय अशफाक खान अपने कलेक्शन्स प्रस्तुत करेंगे।
मेकअप आर्टिस्ट्स में एम स्टूडियोज़ बाय बिजली, विक्की सैलून, उष मेकअप बाय आयुषी वोहरा, पूजा मेकअप बाय पूजा बहल, प्रवल मेकओवर, और एसके ब्यूटी बाय शीतल शामिल हैं। ये सभी यह सुनिश्चित करेंगे कि रनवे का हर लुक पूरी तरह से परफेक्ट हो।
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शिव मंदिर में मोरारी बापू की पूजा: एक न्यायसंगत दृष्टिकोण

नई दिल्ली : काशी, भारत का आध्यात्मिक केंद्र, जहाँ धर्म, संस्कृति और परंपराओं का सम्मान होता है, वहाँ हाल ही में एक विवाद ने जनमानस में चर्चा जगाई है। प्रख्यात रामचरितमानस के व्याख्याता और आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू, जिनकी पत्नी का कुछ दिन पहले निधन हुआ, उन्होंने काशी के शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की और रामकथा गायन किया। इस घटना को लेकर कुछ लोगों ने विरोध व्यक्त किया, उनका कहना है कि सूतक के समय में धार्मिक कार्य नहीं करने चाहिए। परंतु, यह लेख मोरारी बापू के निर्णय का समर्थन करता है और अन्य संतों के उदाहरणों द्वारा उसकी पीछे के आध्यात्मिक तथा मानवीय पहलुओं को प्रस्तुत करता है।
मोरारी बापू एक ऐसे संत हैं, जिन्होंने छह दशकों से भी अधिक समय से रामचरितमानस के माध्यम से सत्य, प्रेम और करुणा का संदेश विश्वभर में फैलाया है। उनकी कथाओं ने लाखों लोगों के जीवन को प्रेरणा दी है। अपनी पत्नी के निधन के बाद भी उन्होंने अपने आध्यात्मिक कर्तव्य को जारी रखने का निर्णय लिया, जो उनकी निष्ठा और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हिंदू धर्म में सूतक की परंपरा अलग-अलग समुदायों में विभिन्न तरीकों से निभाई जाती है, और इसका पालन व्यक्तिगत संदर्भ पर निर्भर करता है। मोरारी बापू ने शिव मंदिर में पूजा करके किसी परंपरा का उल्लंघन नहीं किया है; बल्कि, उन्होंने एक संत के रूप में अपने धर्म का पालन किया, जिसमें भगवान की भक्ति और लोगों के कल्याण का समावेश होता है।
हिंदू धर्म में शिव की पूजा मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को स्वीकार करने का प्रतीक है। शिव, जिन्हें महादेव के रूप में जाना जाता है, वे जीवन और मृत्यु दोनों के स्वामी हैं। हमें यह समझना चाहिए कि सूतक का समयकाल शोक और चिंतन का समय होता है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति भगवान की भक्ति से वंचित रहे।
ऐसा ही एक उदाहरण गुजरात के महान संत नरसिंह मेहता का है। नरसिंह मेहता ने अपने जीवन में अनेक दुख सहे, जिसमें उनके परिवार के सदस्यों का निधन भी शामिल था। फिर भी, वे भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहे और अपने भजनों द्वारा लोगों को प्रेरणा दी। उनका प्रसिद्ध भजन “वैष्णव जन तो” आज भी मानवता का संदेश देता है। नरसिंह मेहता ने दुख की घड़ियों में भी भक्ति को नहीं छोड़ा, जो मोरारी बापू के निर्णय के साथ समानता दर्शाता है।
दूसरा उदाहरण संत जलारामबापा का है, जिन्होंने गुजरात के वीरपुर में अन्नदान की परंपरा स्थापित की। जलारामबापा ने अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भगवान राम की सेवा और लोगों की मदद करना बंद नहीं किया। एक बार, जब उनके एक करीबी संबंधी का निधन हुआ, तब भी उन्होंने अन्नदान जारी रखा, क्योंकि उनका मानना था कि सेवा भगवान की भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप है। मोरारी बापू का रामकथा जारी रखना, ऐसी ही भक्ति और सेवा की भावना दर्शाता है।
मोरारी बापू के विरोध के पीछे का कारण कट्टरपंथ हो सकता है, लेकिन, हमें भूलना नहीं चाहिए कि हिंदू धर्म में लचीलापन और व्यक्तिगत आध्यात्मिकता को स्थान है। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान शांति का संदेश दिया, उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाई,और युवक युवतियों के विवाह के लिए आर्थिक मदद की। इनकी सनातनके प्रति निष्ठा पर संदेह करना हमारी समझ की सीमा दर्शाता है। मोरारी बापू की कथाएँ केवल धार्मिक विधि नहीं हैं, बल्कि वे लोगों को नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देती हैं। उनके शोक की घड़ियों में भी कथा जारी रखना यह दर्शाता है कि वे व्यक्तिगत दुख को एक तरफ रखकर समाज के हित के लिए कार्यरत रहे। यह एक सच्चे संत की निशानी है, जो दुख को भक्ति और सेवा में रूपांतरित करते हैं। अंत में, हमें मोरारी बापू के निर्णय को समझना चाहिए और नरसिंह मेहता तथा जलारामबापा जैसे संतों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। विरोध करने के बजाय, उनकी भक्ति और सेवा का सम्मान करें। मोरारी बापू का जीवन एक उदाहरण है कि धर्म केवल नियमों का पालन नहीं है, बल्कि एक भावना है जो मानवता को उन्नत करती है।
अस्वीकरण: उपर्युक्त विचार लेखक के निजी हैं और प्रकाशन की राय को प्रतिबिंबित नहीं करते।
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स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

अहमदाबाद (गुजरात), जून 16 :लगाजरडा में श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे में विमान दुर्घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के साथ मोरारी बापू ने संतों–महंतों की उपस्थिति में व्यक्त किए भाव।
दिनांक 13 जून की संध्या को तलगाजरडा में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राम कथा वाचक मोरारी बापू की धर्मपत्नी श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे के अवसर पर, संतों और महंतों की उपस्थिति में बापू ने सभी के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट कीं और कहा कि स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही साधु के पंचतत्व हैं।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की पीड़ा और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए, पूज्य मोरारी बापू ने एक आदर्श साधु की परिभाषा देते हुए कहा कि ये पंच गुण एक सच्चे साधु की पहचान हैं। उन्होंने प्रत्येक तत्व पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला और जोड़ा कि साधु लाभ के लिए नहीं, बल्कि शुभ के लिए कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज द्वारा साधु के प्रति श्रद्धा रहती है, परंतु साधु को सहनशील भी होना पड़ता है।
इस भंडारे में श्री सतुआ बाबा, श्री अंशु बापू, श्री दुर्गादास बापू, श्री ललितकिशोर महाराज, श्री जानकीदास बापू, श्री राम बालकदासजी बापू, श्री निर्मला बा, श्री निजानंदजी स्वामी, श्री दलपतराम पधियारजी, श्री दयागीरी बापू, श्री जयदेवदासजी, श्री राजेंद्रप्रसाद शास्त्री, श्री रामेश्वरदासजी हरियाणी, श्री भक्तिराम बापू, श्री घनश्याम बापू आदि अनेक संत, महंत और कथाकार उपस्थित थे।
भंडारे की विधि में मोरारी बापू और चित्रकूटधाम परिवार के समन्वय से सभी ने प्रार्थना और प्रसाद ग्रहण किया। विमान दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए संतवाणी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पूज्य मोरारी बापू ने इस कार्यक्रम को विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया।
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