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प्रेस विज्ञप्ति

भारत की 10 सबसे बड़ी टेक्सटाइल कम्पनियां

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Ajmera Fashion

कृषि के बाद सबसे अधिक लोगों को रोजगार देने वाली इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री हमारे देश के विकास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसीलिए भारत सरकार लगातार कपड़ा उद्योग की प्रगति और विकास के लिए तत्पर रहती है. सरकार मौजूदा 75 Bn $ के स्तर से Indian Textile Market को 200 Bn $ तक ले जाना चाहती है. सिर्फ एक्सपोर्ट की बात करें तो सरकार अगले 5 साल में इसे 30 Bn $ से 100 Bn $ तक ले जाने का लक्ष्य है.

यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता से ही हासिल हो सकते हैं. इसीलिए आज इस लेख में हम आपको भारत की दस सबसे बड़ी टेक्सटाइल कम्पनियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके प्रदर्शन से भारतीय कपड़ा उद्योग की दशा और दिशा तय होगी.

तो आइये देखते हैं इस लिस्ट को :

भारत की 10 सबसे बड़ी टेक्सटाइल कम्पनियां

1. Arvind Ltd.

अरविंद लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी कपड़ा कंपनियों में से एक है. आज अरविंद द्वारा बनाया गया कपड़ा पृथ्वी का 6 बार चक्कर लगा सकता है. अरविंद प्रबंधित ब्रांड्स द्वारा भारत में प्रति सेकेंड 2 परिधान बेचे जाते हैं. कंपनी का मुख्यालय अहमदाबाद, गुजरात में है. यह भारत की शीर्ष 10 कपड़ा कंपनियों में सबसे बड़ी है.

Website: https://www.arvind.com/

Address: Naroda Road, Gujarat, India – Ahmedabad – 380025

 

2. Ajmera Fashion

टेक्सटाइल हब ऑफ़ इंडिया; सूरत की बेस्ट टेक्सटाइल मैन्युफैक्चररिंग कम्पनी अजमेरा फैशन पिछले कुछ सालों में बड़ी तेजी से आगे बढ़ी है और आज 30 से अधिक देशों में टेक्सटाइल एक्सपोर्ट कर रही है.अजमेरा फैशन अपने यूनीक बिजनेस मॉडल के लिए जानी जाती है. दरअसल, यह भारत की पहली वस्त्र निर्माता कम्पनी है जिसने सीधा रिटेलर्स को साड़ी, सूट, लहंगा, मेन्स वियर, किड्स वियर जैसे वस्त्र फैक्ट्री रेट पर देने की शुरुआत की, यही कारण है कि इतने कम समय में यह कम्पनी टॉप 10 में अपना स्थान बना पाई है.

कपड़ों का बिजनेस कर रहे व्यापारियों या इस बिजनेस को करने की इच्छा रखने वाले व्यक्तियों के बीच अजमेरा फैशन काफी पॉपुलर है और आज इस कम्पनी के साथ भारत के कोने-कोने से जुड़कर 100000 से अधिक वस्त्र विक्रेता रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस कर रहे हैं.

Website: https://ajmerafashion.com/

Address: D-5491, 3rd Floor, Lift No.15, Ring Rd, Raghukul Textile Market, Surat, Gujarat 395002

Phone No.: 76008-36819

 

3. Vardhman Textiles Ltd.

पांच दशकों से अधिक की उपस्थिति के साथ, वर्धमान आज देश के अग्रणी कपड़ा समूहों में से एक है. यार्न, फैब्रिक, ऐक्रेलिक फाइबर, गारमेंट्स, सिलाई थ्रेड्स और एलॉय स्टील के निर्माण के व्यवसाय में संलग्न यह समूह सबसे बड़े कपड़ा निर्माताओं में से एक है.एक चीज जिसने वर्धमान को हर दौर में आगे बढ़ाया है वो है इस कम्पनी द्वारा उत्कृष्टता के लिए लगातार किया जाने वाला इन्वेंशन.

Website: https://www.vardhman.com/

Address:Chandigarh Road, Ludhiana, Punjab-141010, India.

 

4. Welspun India Ltd

वेलस्पन इंडिया भारत की अग्रणी कपड़ा कंपनी है. यह 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाले वेलस्पन ग्रुप का हिस्सा, वेलस्पन इंडिया लिमिटेड होम टेक्सटाइल में एक वैश्विक लीडर है, जो शीर्ष 30 वैश्विक खुदरा विक्रेताओं में से 17 को आपूर्ति करता है. भारत में स्थित इसकी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को वितरित करने के लिए सुसज्जित है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो.

Website: https://www.welspunindia.com/

Address: 6th Floor, Kamala Mills Compound, Senapati Bapat Marg, Lower Parel, Mumbai 400 013, India

 

5. Raymond Limited

रेमंड एक डायवर्सिफाइड ग्रुप है, जिसके ज्यादातर बिजनेस इंटरेस्ट टेक्सटाइल और अपैरल सेक्टर्स में हैं और साथ ही एफएमसीजी, इंजीनियरिंग और प्रोफिलैक्टिक्स जैसे विविध सेगमेंट्स में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मौजूद है. यह भारत की शीर्ष कपड़ा कंपनियों में से एक है जिसके टीवी पर प्रचार काफी पसंद किये जाते हैं.

Website: https://www.raymond.in/

Address: Plot No. 156 / H. No. 2, Village Zadgaon, Ratnagiri – 415 612, Maharashtra.

 

6. Trident Ltd

ट्राइडेंट लिमिटेड जाने-माने ट्राइडेंट ग्रुप की प्रमुख कंपनी है. वर्ष 1990 में शुरुआत करने वाली यह कम्पनी आज दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत होम टेक्सटाइल निर्माता के रूप में स्थापित हो चुकी है. ट्राईडेंट लिमिटेड यार्न, बेड, बाथ लिनन, पेपर, केमिकल्स और कैप्टिव पावर के निर्माण में लगी हुई है. ट्राइडेंट की अत्याधुनिक विनिर्माण सुविधाएं बरनाला (पंजाब) और बुदनी (मध्य प्रदेश) में स्थित हैं.

Website: https://www.tridentindia.com/

Address: Trident Group, Sanghera – 148101, India

 

7. K P R Mill Limited

केपीआर मिल लिमिटेड भारत में यार्न, निटेड ग्रे एंड डाइड फैब्रिक और रेडीमेड गारमेंट्स का उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी वर्टिकली इंटीग्रेटेड अपैरल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में से एक है. यार्न डिवीजन में प्रति वर्ष 90,000 मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता के साथ 3,53,616 स्पिंडल हैं. अंतर्राष्ट्रीय मानकों की सबसे आधुनिक मशीनरी के साथ, केपीआर दुनिया के प्रमुख ब्रांडों के परिधानों के लिए कॉम्बेड, ग्रे मेलेंज, कार्डेड और कॉम्पैक्ट यार्न का उत्पादन करती है.

Website: https://kprmilllimited.com/

Address: Shrivari Srimat, 1045, Avinashi Road

Coimbatore – 641 018, India.

 

8. Page Industries Ltd

भारत के बंगलौर में स्थित पेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और यूएई में जॉकी® ब्रांड के निर्माण, वितरण और विपणन के लिए जॉकी इंटरनेशनल इंक (यूएसए) का विशेष लाइसेंसधारी है. कम्पनी के पूरे भारत में 384 एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट हैं, जिनमें 286 स्टोर हाई स्ट्रीट्स पर हैं और 98 स्टोर भारी भीड़ वाले शॉपिंग मॉल में हैं.

Website: https://www.pageind.com/

Address: Umiya Business Bay – Tower – 1, 7th Floor, Cessna Business Park,

Kadubeesanahalli, Varthur Hobli, Bengaluru- 560103.

 

9. Nitin Spinners Ltd

नितिन स्पिनर्स 25 वर्षों के अनुभव के साथ भारत में कॉटन और मिश्रित यार्न, ग्रे निटेड फैब्रिक्स और प्रिंटेड वोवन फैब्रिक्स के अग्रणी निर्माताओं में से एक हैं. यह कंपनी कच्चे माल के स्रोतों के साथ-साथ आधुनिक शिपिंग बंदरगाहों तक पहुंच के साथ देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है. कंपनी के पास पर्यावरण और ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन आईएसओ 14000 और आईएसओ 50001, व्यावसायिक सुरक्षा के लिए OSHAS और सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए SA 8000 सर्टिफिकेशन भी हैं.

Website: https://nitinspinners.com/

Address: 16-17 Km. Stone Chittor Road, Hamirgarh Distt.

Bhilwara – 311 025 (Raj.) India

 

10. Rupa & Company Ltd

रूपा आज भारत में निटवेअर का निर्विवाद नंबर 1 ब्रांड है, जिसमें इनरवियर से लेकर कैजुअल वियर तक बुने हुए कपड़ों की पूरी रेंज शामिल है. रूपा, मैक्रोमैन, थर्मोकॉट जैसे ब्रांड्स ओन करने वाली यह कम्पनी उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं और बाजार की मांगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जानी जाती है.

तो ये थी भारत के टॉप 10 टेक्सटाइल कम्पनियां. हम उम्मीद करते हैं कि यह कम्पनियां निरंतर प्रगित करेंगी और भारत को टेक्सटाइल सुपरपॉवर बनाने में सहायक सिद्ध होंगी.

Website: https://rupa.co.in/

Address: Rupa & Company Limited 1, Ho Chi Minh Sarani Metro Tower 8th Floor Kolkata 700071

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राष्ट्रीय

आत्मनिर्भर रक्षा का नवयुग: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों की गौरवशाली यात्रा – राधा मोहन सिंह

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दिल्ली :  सांसद, रक्षा मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की रक्षा नीति में जो क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की देन है। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न अब रक्षा क्षेत्र में साकार होता दिखाई दे रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि 2014 में जब श्री मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब भारत विश्व का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था। हमारी सेनाएँ आधुनिक तो थीं, परंतु अनेक महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियाँ और उपकरण विदेशों से आयातित होते थे। आज स्थिति यह है कि भारत 85 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है, और तेजस लड़ाकू विमान, INS विक्रांत, आकाश मिसाइल प्रणाली और ATAGS जैसी स्वदेशी प्रणालियाँ हमारी रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने “मेक इन इंडिया” को केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक मिशन बनाया। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर का निर्माण, FDI की सीमा में वृद्धि, निजी क्षेत्र की भागीदारी और रक्षा स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन—इन सभी प्रयासों से रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
‘पॉजिटिव इंडीजेनाइजेशन लिस्ट’ के अंतर्गत अब तक 500 से अधिक वस्तुएँ चिन्हित की जा चुकी हैं जिन्हें केवल घरेलू स्रोतों से खरीदा जाएगा। यह न केवल देश की आर्थिक समृद्धि का मार्ग है, बल्कि सामरिक आत्मनिर्भरता का आधार भी है।
इस सबके बीच, भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक—INS विक्रांत—देश की पहली स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, भारत के सामर्थ्य का प्रमाण है। यह केवल एक युद्धपोत नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की क्षमता और संकल्प का उदाहरण है।
साथ ही, मैं इस अवसर पर ऑपरेशन सिन्दूर को सफलतापूर्वक संपन्न करने वाले हमारे वीर सैनिकों को हृदय से धन्यवाद देता हूँ। यह ऑपरेशन हमारी सेना, नौसेना और वायुसेना के अद्वितीय समन्वय, युद्ध कौशल और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का प्रतीक है। यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि हमारी सेनाएँ अब किसी भी चुनौती का सामना करने में पूर्णतः सक्षम हैं—वह भी स्वदेशी तकनीकों और संसाधनों के साथ।
ऑपरेशन सिन्दूर में हमारे सैनिकों ने जिस समर्पण, धैर्य और दक्षता का परिचय दिया, उस पर देश को गर्व है। मैं रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में, और एक देशवासी के रूप में, तीनों सेनाओं के हर जवान को कोटि-कोटि नमन करता हूँ।
आज हमारे सैनिक अत्याधुनिक हथियारों, संचार प्रणालियों और रणनीतिक सहायता से सुसज्जित हैं। सीमाओं पर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, त्वरित आपूर्ति श्रृंखला और सामरिक तैयारियों ने हमारी सेनाओं की युद्ध शक्ति को कई गुना बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सेना का मनोबल पहले से कहीं अधिक ऊँचा हुआ है।
भारत अब केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने वाला राष्ट्र नहीं है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक “नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर” के रूप में उभर रहा है। आत्मनिर्भरता पर आधारित सामरिक स्वतंत्रता की हमारी नीति को वैश्विक मान्यता मिल रही है।
राधा मोहन सिंह अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा कि इन 11 वर्षों की यात्रा को देखते हुए हम कह सकते हैं कि भारत अब रक्षा निर्माण में न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि आने वाले समय में विश्व के प्रमुख रक्षा निर्यातकों में शामिल होने की ओर भी अग्रसर है।
अंत में, मैं एक बार पुनः ऑपरेशन सिन्दूर में भाग लेने वाले सभी सैनिकों को, और पूरे सशस्त्र बलों को नमन करता हूँ। आप सभी के परिश्रम, त्याग और शौर्य से भारत गौरवान्वित है। आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि आत्मनिर्भर भारत के इस मार्ग को और भी दृढ़ता आगे बढ़ाएँगे
मोदी सरकार में भारतीय रेलवे ने रचा नया इतिहास: राधा मोहन सिंह
संसदीय रक्षा समिति के अध्यक्ष, वरिष्ठ सांसद और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भारतीय रेल के पिछले एक दशक में हुए ऐतिहासिक परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेलवे ने आत्मनिर्भरता, नवाचार और समावेशी विकास का प्रतीक बनकर उभरने का कार्य किया है।
“भारतीय रेल अब सिर्फ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि नए भारत की पहचान बन गई है — जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा, सामाजिक समरसता और हरित विकास का प्रतीक है,” श्री सिंह ने कहा।
 
उन्होंने निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित किया:
* रेलवे लाइनों का तेज़ी से विद्युतीकरण, जिससे ऊर्जा दक्षता और पर्यावरणीय अनुकूलता में सुधार
* समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और यात्री मार्गों में भीड़ घटाई गई
* कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में नई रेल लाइनों का निर्माण
* वंदे भारत एक्सप्रेस — भारत की पहली अर्ध-तेज गति की स्वदेशी ट्रेन, जिसने विश्वस्तरीय यात्रा अनुभव प्रदान किया
* अमृत भारत योजना के अंतर्गत 1,300+ स्टेशनों का कायाकल्प — आधुनिक प्रतीक्षालय, एस्केलेटर, स्वच्छ शौचालय आदि सुविधाएं
* कोचों में जैव-शौचालयों की शुरुआत — स्वच्छ भारत मिशन को प्रोत्साहन
* सुरक्षा क्षेत्र में प्रगति — सभी अनियंत्रित लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन, ‘कवच’ जैसी स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली का उपयोग, सीसीटीवी और गश्त में वृद्धि
* रेलवे के लिए ₹2.5 लाख करोड़ से अधिक का पूंजीगत व्यय, जो नए कॉरिडोर, रोलिंग स्टॉक उन्नयन, सुरक्षा और अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समर्पित है
श्री सिंह ने कहा कि इन प्रयासों के पीछे विकसित भारत@2047 के लक्ष्य को मूर्त रूप देने की व्यापक दृष्टि है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आगे की चुनौतियाँ भी महत्वपूर्ण हैं — जैसे कि दूरस्थ क्षेत्रों तक अंतिम मील संपर्क, निरंतर आधुनिकीकरण, पर्यावरणीय संतुलन, और सभी वर्गों के यात्रियों को श्रेष्ठ अनुभव देना। लेकिन उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नीति निर्माताओं, रेलवे कर्मियों और देशवासियों के सामूहिक प्रयास से भारतीय रेल इन चुनौतियों को पार कर सकती है।
“हम सिर्फ पुल और पटरियाँ नहीं बना रहे, हम भारत के नए भविष्य की नींव रख रहे हैं,” श्री सिंह ने कहा।हा।
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राष्ट्रीय

यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता

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नई दिल्ली, मई 23 : आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर साम्राज्य स्थापित किया होता; तो भारतीय भाषाएं कितनी समृद्ध होती! जिस तरह आज ‘इंग्लिश’ विश्व पर शासन कर रही है, उसी तरह ही भारतीय भाषाएं भी विश्व पर शासन करती। आज विश्व में अंग्रेज़ी की बजाय ‘भारतीय’ भाषा का ही प्रयोग होता और वह कोई भी एक भारतीय भाषा ही ‘अंतर्राष्ट्रीय’ भाषा होती। जिस प्रकार अंग्रेज़ी के बिना आज लोगों का जीवित रहना भी असंभव जैसा है; यदि भारत ने विश्व पर शासन किया होता, तो भारतीय भाषा के बिना भी लोगों का जीवित रहना असंभव जैसा हो जाता। अंग्रेज़ी की तरह ही लोग चाह कर भारतीय भाषा पढ़ते; क्योंकि, भारत के अधीन होने के कारण, भारतीय भाषा पढ़ना उन की मजबूरी बन जानी थी; जैसे इंग्लैंड के अधीन रहने के कारण अंग्रेज़ी पढ़ना, आज पूरे विश्व की मजबूरी बन गई है। परंतु, विश्व पर साम्राज्य स्थापित करने हेतु तथा उस साम्राज्य को लंबे समय तक कायम रखने हेतु: क्रूरता व कुटिलता जैसे अनैतिक-अधर्म कार्य करने राजनीति की मजबूरी है, जो इंग्लैंड की तरह भारत ने नहीं किए। अनैतिक कार्य करने का फल: इंग्लैंड प्रफुल्लित हो कर भोग रहा है। परंतु, इंग्लैंड के अनैतिक कार्यों के कारण; पूरा विश्व अपनी संस्कृति, भाषाएं, मज़हब आदि खो कर, नैतिकता कारण अधीनगी का फल भोग रहा है। इसी प्रकार से, अनैतिक कार्य न करने का फल: भारत अपनी स्वतंत्रता, भाषाएं, संस्कृति, मज़हब तथा भारत भूमि का बड़ा भाग खो कर भोग रहा है।

विशेष: पाठक जन! इस लेख पर आपत्ति करने से पहले इस का तत्व समझिए। जिस का साम्राज्य हो; उसी की भाषा राजकीय कार्यों में चलती है एवं प्रफुल्लित हो कर लोगों में प्रचलित होती है। क्योंकि, वह भाषा पढ़ना व उस का उपयोग करना: लोगों की मजबूरी बन जाती है। यदि उस का साम्राज्य न भी रहे; तो भी उसी की भाषा, लंबे समय तक अपना प्रभाव रखती है। अंग्रेज़ी का ‘अंतर्राष्ट्रीय भाषा’ बन कर, आज पूरे विश्व के लोगों की आवश्यकता बनने का एक ही विशेष कारण है; इंग्लैंड का विश्व के बहुत बड़े भाग पर साम्राज्य स्थापित करना। यदि आप लेख के इस तत्व को समझ कर, जीवन की सच्चाई को स्वीकार करें गे, तो मेरे विचारों से अवश्य सहमत हो जाएं गे। यदि मेरी बात आप की समझ में नहीं आ रही, आप को स्वीकार नहीं हो रही; तो, अंग्रेज़ी का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर के, केवल एक दिन के लिए ही आप जीवित रह कर देखिए। आप को अपने आप ही पता चल जाएगा कि आप अंग्रेज़ी-उपयोग के बिना जीवित ही नहीं रह सकते। विश्व के सभी बड़े साम्राज्य: क्रूरता, हिंसा, कपट, अनैतिक-अधर्म कार्य कर के ही स्थापित हुए हैं; केवल सेवा, पर-उपकार जैसे नैतिक और धर्म कार्य कर के, कोई बड़ा साम्राज्य कभी भी स्थापित नहीं हुआ, ना ही हो सकता है ।

यह सर्व विदित है कि यूरोप के कुछ देशों (इंग्लैंड, फ्रांस, हॉलैंड, स्पेन आदि): विशेष रूप से इंग्लैंड ने, विश्व के अधिकत्तर देशों को गुलाम बना कर, अपना साम्राज्य स्थापित किया था। जिस में से एक बहुत बड़े भाग पर अब तक भी उन्हीं का शासन है, जैसे: ऑस्ट्रेलिया (Australia), कनाडा (Canada) एवं कई छोटे-छोटे देश: इंग्लैंड के अधीन हैं। ग्वाडेलोप (Guadeloupe), गुयाना (Guyana), मैयट (Mayotte), फ्रेंच पोलिनेशिया (French Polynesia) आदि देश: फ्रांस के अधीन हैं। इबेरियन प्रायद्वीप (Iberian Peninsula), कैनरी द्वीप समूह (Canary Islands), उत्तरी अफ्रीका के सेउटा और मेलिला शहर (North African cities of Ceuta and Melilla) आदि क्षेत्र: स्पेन के अधीन हैं।

ऐसा विश्वास किया जाता है कि किसी भी देश के मूल निवासियों पर अत्याचार कर के व गुलाम बना कर, उन का शोषण करना तथा उन पर शासन करना; बहुत बड़ी अनैतिकता तथा अधर्म है, जिस का बहुत बड़ा दंड/पाप: शोषण करने वाले लोगों को लगता है। इन यूरोपीय देशों को उन अनैतिक कुकर्मों का दंड/पाप लगना चाहिए था। परंतु, इस के विपरीत, इन यूरोपीय देशों को इतने बड़े ऐसे अनैतिक/पाप कर्म करने का, यह फल मिला है; कि जहां-जहां भी उन्होंने साम्राज्य स्थापित किया, वहां पर उन की जन संख्या, भाषा, मज़हब तथा संस्कृति प्रफुल्लित हो कर स्थापित हो गये! गुलाम देशों के मूल निवासियों की जन संख्या, भाषा, मज़हब तथा संस्कृति इन विदेशी अत्याचारियों के शासन व गुलामी के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं। जिस का प्रत्यक्ष उदाहरण यूरपीयों की अपनी लिखत में ही मिलता है: उत्तरी अमरीका एवं दक्षिणी अमरीका पर अपना साम्राज्य स्थापित करने हेतु, यूरोपीय लोगों ने वहां के 50 लाख से अधिक मूल निवासियों को मारा है।

इस से यह प्रत्यक्ष होता है कि अपनी भाषा व संस्कृति को प्रफुल्लित करने हेतु; विश्व के बड़े भाग पर साम्राज्य स्थापित करना अनिवार्य है। वह साम्राज्य स्थापित करना, केवल नैतिकता या धर्म कार्यों से संभव नहीं। यह भी कटु सत्य है कि कम से कम 50% अनैतिकता तथा क्रूरता से ही साम्राज्य स्थापित होता है तथा स्थापित रहता है; भले ही समाज इस ढंग को कितना भी अनैतिक तथा अपराधिक मानता है। परंतु,  साम्राज्य स्थापित कर के, केवल लोगों का शोषण व उन पर अत्याचार करने से कोई भाषा, मज़हब तथा संस्कृति; गुलाम देश के लोगों के जीवन का अंग नहीं बन जाती। जब लंबे समय तक साम्राज्य के मंत्री, अधिकारी तथा उन के लोग; गुलाम हुए देश में रहते हैं; तो जो भाषा वह उपयोग करते हैं और जो कार्य वह करते हैं; गुलाम देश की जनता उन के सभी कार्यों की, अपने आप नकल करने लग जाती है। क्योंकि, मानवी स्वभाव है कि धनहीन प्रजा, धनी व सत्तारूढ़ व्यक्ति की नकल करती है। सब से धनवान और शक्तिशाली तो साम्राज्य का स्वामी और उस के अधिकारी/मंत्री होते हैं। इस प्रकार से, साम्राज्य स्थापित करने वाले देशों की भाषा, मज़हब व संस्कृति भी: बिना अधिक अत्याचार किए, बिना अधिक परिश्रम किए, अपने आप ही गुलाम देश में प्रफुल्लित होने लगते हैं। नकल करने का मानवीय स्वभाव होने के कारण ही, आज पूरे विश्व में इंग्लैंड व यूरोपीय देशों की भाषा, मज़हब व संस्कृति प्रफुल्लित हो कर फैल गए हैं।

इस लिए, जिस ने भी अपनी भाषा, मज़हब तथा सभ्यता को सुरक्षित कर के प्रफुल्लित करना हो; उस के लिए बड़ा सम्राज्य स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। बड़ा सम्राज्य स्थापित करने हेतु, इन यूरपीय देशों जैसे अनैतिक कार्य भी करने पड़ते हैं; तभी सम्राज्य स्थापित होता है, एवं स्थापित रहता है। इस का प्रत्यक्ष उदाहरण है: मानव जाति का पृथ्वी पर साम्राज्य स्थापित कर के, उस पर रहते सभी जीव-जंतुओं एवं वनस्पति पर शासन करना तथा उन का शोषण करना। मानव जाति ने हर प्रकार के अनैतिक, अधर्म कार्य (क्रूरता, कपट आदि) कर के ही, पृथ्वी पर साम्राज्य स्थापित किया है। क्योंकि, मानव सभी जीवों में से अधिक शैतान, क्रूर, कपटी एवं लालची (अधर्मी) है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:- राजपाल कौर +91 9023150008, तजिंदर सिंह +91 9041000625, रतनदीप सिंह +91 9650066108.

Email: info@namdhari-sikhs.com

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शिक्षा

हिंदी भाषा और व्याकरण: मानवीय संस्कारों से रोज़गार तक की यात्रा

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नई दिल्ली : भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह समाज की आत्मा, संस्कृति की वाहक और मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त साधन होती है। हिंदी, हमारी मातृभाषा, न केवल भारत के विशाल भूभाग में संवाद का माध्यम है, बल्कि यह करोड़ों लोगों की पहचान, सोच और संस्कारों की वाहिका भी है। भाषा की आत्मा उसका व्याकरण होता है, जो उसे शुद्धता, स्पष्टता और सौंदर्य प्रदान करता है। हिंदी भाषा और व्याकरण का यह संगम न केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है, बल्कि व्यक्ति को सामाजिक, नैतिक व व्यावसायिक स्तर पर दक्ष, सक्षम और संवेदनशील बनाता है।

1. भाषा और व्याकरण: संस्कारों का आधार

बचपन में जब कोई बालक भाषा सीखता है, तो वह केवल शब्दों और वाक्यों को नहीं, बल्कि व्यवहार, संस्कृति और मूल्यों को आत्मसात करता है। ‘नमस्ते’ कहना, बड़ों को ‘आप’ कहकर संबोधित करना, संवाद में विनम्रता रखना — ये केवल भाषायी क्रियाएं नहीं हैं, ये हमारी सामाजिक चेतना के अंग हैं।

हिंदी व्याकरण में मौजूद ‘संबोधन विभक्ति’, ‘क्रियाओं की विनम्रता’ और ‘शुद्ध उच्चारण’ केवल तकनीकी बातें नहीं हैं, बल्कि ये संवाद की मर्यादा और आदर-संवोधन की गूढ़ समझ भी प्रदान करती हैं।

भाषा में व्याकरण वही भूमिका निभाता है, जो शरीर में रीढ़ की हड्डी निभाती है। वह भाषा को संरचना, संतुलन और सौंदर्य प्रदान करता है। सही व्याकरण से युक्त भाषा न केवल स्पष्ट होती है, बल्कि वह सामाजिक व्यवहार का दर्पण भी बनती है।

2. भावनात्मक बौद्धिकता और भाषा

आज के युग में ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ (Emotional Intelligence) को सफलता का अनिवार्य गुण माना जाता है। यह केवल निर्णय लेने या संकट में संतुलन बनाए रखने की क्षमता नहीं, बल्कि दूसरों की बात समझने, संवेदना व्यक्त करने और सहयोग की भावना को विकसित करने का माध्यम भी है।

हिंदी भाषा, विशेषकर उसकी काव्यात्मकता, मुहावरों, लोकोक्तियों और संवाद शैली के माध्यम से यह भावनात्मक समझ उत्पन्न करती है। एक संवेदनशील भाषा के रूप में हिंदी अपने वक्ता को एक बेहतर श्रोता, सहकर्मी, नेता और नागरिक बनने की क्षमता देती है।

3. रोजगार के बदलते परिदृश्य में भाषा की भूमिका

21वीं सदी का रोजगार बाजार केवल डिग्रियों और तकनीकी ज्ञान के आधार पर निर्णय नहीं लेता। अब कंपनियां और संस्थाएं ऐसे व्यक्तियों को प्राथमिकता देती हैं जो प्रभावी संवाद कर सकें, टीम में काम कर सकें, और विभिन्न भाषायी-सांस्कृतिक संदर्भों को समझते हुए व्यावसायिक संबंध बना सकें।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों में हिंदी भाषा का प्रभावी योगदान:

  • शिक्षा एवं शोध: आज शैक्षणिक संस्थानों में विषयवस्तु को मातृभाषा में समझाना, शोध करना और विद्यार्थियों से संवाद करना एक महत्वपूर्ण कौशल है। हिंदी में लेखन, प्रस्तुति और अध्यापन की क्षमता आपको इस क्षेत्र में अग्रणी बना सकती है।

  • पत्रकारिता एवं मीडिया: हिंदी पत्रकारिता देश के सबसे बड़े मीडिया उपभोक्ताओं में से एक को संबोधित करती है। प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन मीडिया में शुद्ध, सटीक और प्रभावी हिंदी लेखन व वाचन कौशल की भारी मांग है।

  • सृजनात्मक लेखन एवं अनुवाद: साहित्य, पटकथा लेखन, वेब सीरीज़, विज्ञापन, फिल्म आदि में हिंदी की सृजनात्मकता की अपार संभावना है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय भाषाओं और वैश्विक भाषाओं से हिंदी में अनुवाद एक उभरता हुआ पेशेवर क्षेत्र है।

  • प्रशासनिक सेवाएं: सिविल सेवा परीक्षा सहित अनेक प्रशासनिक सेवाओं में हिंदी भाषा में गहरी समझ और प्रभावी अभिव्यक्ति सफलता की कुंजी बन सकती है।

  • कॉर्पोरेट व जनसंपर्क: बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्थानीय संस्थाओं को ऐसे लोग चाहिए जो हिंदी में ग्राहकों से संवाद कर सकें, रिपोर्ट तैयार कर सकें और अंदरूनी टीमों के बीच पुल बना सकें।

4. व्याकरण: दक्षता और विश्वसनीयता का आधार

आज जब डिजिटल और वैश्विक संवाद तेज़ी से बढ़ रहा है, सही भाषा और व्याकरण की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है। सोशल मीडिया पोस्ट, ईमेल, रिपोर्ट, प्रस्तुतियाँ — सबमें भाषा की स्पष्टता और शुद्धता ही व्यक्ति की विशेषज्ञता और विश्वसनीयता दर्शाती है।

हिंदी व्याकरण जैसे समास, कारक, काल, वाच्य, अलंकार आदि न केवल भाषा को समृद्ध बनाते हैं, बल्कि व्यक्ति के चिंतन और अभिव्यक्ति को गहराई और सौंदर्य प्रदान करते हैं। व्याकरण के अभ्यास से तार्किक क्षमता, एकाग्रता और अनुशासन का विकास होता है — जो किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक हैं।

5. डिजिटल युग और हिंदी भाषा

आज डिजिटल क्रांति के युग में हिंदी अपनी नई पहचान बना रही है। मोबाइल एप्स, वेबसाइट्स, ब्लॉग्स, यूट्यूब चैनल्स, पॉडकास्ट्स और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर हिंदी के उपयोग ने लाखों युवाओं को न केवल अपनी बात कहने का मंच दिया है, बल्कि उन्हें स्वतंत्र, रचनात्मक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनाया है।

हिंदी कंटेंट क्रिएटर, ट्रांसक्रिप्शन विशेषज्ञ, डिजिटल मार्केटर, सोशल मीडिया मैनेजर जैसे अनेक नए प्रोफेशनल रोल हिंदी भाषा-ज्ञान पर आधारित हैं। ऐसे में हिंदी भाषा और व्याकरण का सशक्त ज्ञान, डिजिटल युग के अवसरों का लाभ उठाने में सहायक बनता है।

6. भाषा और व्यक्तित्व विकास

हिंदी भाषा केवल करियर का साधन नहीं, यह हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है। वह हमें अभिव्यक्ति की शक्ति, विचारों की गहराई और संवाद की मर्यादा सिखाती है। एक ऐसा व्यक्ति जो प्रभावी ढंग से हिंदी में विचार रख सकता है, उसमें आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और संवेदनशीलता जैसे गुण स्वतः विकसित होते हैं।

व्याकरण की समझ व्यक्ति को केवल भाषायी रूप से सक्षम नहीं बनाती, बल्कि वह तार्किक, संयमित और विवेकशील भी बनाता है।

हिंदी भाषा और उसका व्याकरण केवल शैक्षिक विषय नहीं हैं, बल्कि ये मानवीय जीवन की संरचना के मूल आधार हैं। ये हमें केवल शब्दों की दुनिया में दक्ष नहीं बनाते, बल्कि संस्कार, सह-अस्तित्व, संवाद और सहिष्णुता जैसे गुणों से समृद्ध करते हैं। आज जब भविष्य की दुनिया बहुभाषायी, भावनात्मक और संवाद-प्रधान होती जा रही है, हिंदी भाषा और व्याकरण की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

हमें यह समझना होगा कि भाषा केवल रोज़गार का साधन नहीं, बल्कि एक समृद्ध, सुसंस्कृत और सार्थक जीवन की कुंजी भी है। यदि हम हिंदी भाषा और व्याकरण को अपने जीवन में आदरपूर्वक स्थान दें, तो हम न केवल एक सफल पेशेवर बन सकते हैं, बल्कि एक सजग, सुसंस्कृत और सहृदय नागरिक भी बन सकते हैं।

  • ©® डॉ ऋषि शर्मा

  • प्रकाशन प्रबंधक भाषा

  • न्यू सरस्वती हाउस प्रकाशन

  • प्रमुख संपादक गुंजार, गूँज हिंदी की, शैक्षिक त्रैमासिक पत्रिका।

  • संस्थापक: हिंदगी ,हिंदी है ज़िंदगी समूह

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