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Love with Astrology: रिश्तों की पाठशाला – लाखो लोगों की ज़िंदगी बदली है

नई दिल्ली [भारत], 8 जनवरी : आज के इस कलयुग में, लोगों को सच्चा प्यार, सच्चे रिश्ते और अपनापन मिलना मुश्किल हो गया है। जहाँ लोग अकेले ज़िन्दगी जी रहे हैं, वहाँ “Love with Astrology: रिश्तों की पाठशाला” लाखो लोगों का सहारा बन गया है। यह कोई मामूली प्लेटफ़ॉर्म नहीं है, काफ़ी अभ्यास करने के बाद इसे बनाया गया है। क्यूंकि यह प्लेटफ़ॉर्म ज्योतिष के पुराने ज्ञान को नए तरीके से जोड़कर प्यार, अकेलापन और रिश्तों की समस्याओं का हल बताता है। इसकी आसान सलाह और उपायों की वजह से, अब तक 21 लाख से ज़्यादा लोगों के रिश्तों को बरक़रार रखा गया है।
प्रेरणादायी दृष्टिकोन
आचार्य श्री. सतीश अवस्थी जी “Love with Astrology” के संस्थापक और मार्गदर्शक हैं, वह एक प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य हैं, जिन्हें 15 साल से अधिक का अनुभव है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. कर चुके आचार्य जी ने अपना जीवन वैदिक विज्ञान और ज्योतिष में महारत हासिल करने में समर्पित किया है।
उन्हें राशिफल, रिश्तों की समस्या, और ज्योतिषीय उपायों में उनकी गहरी समझ ने उन्हें प्यार और विवाह से जुड़ी समस्याओं के लिए एक भरोसेमंद सलाहकार बना दिया है। आचार्य जी के लेख और विचार कई नामी अखबारों, पत्रिकाओं, और टीवी कार्यक्रमों में प्रकाशित हुए हैं।
उनका यूट्यूब चैनल “Love with Astrology” जिसके करीब 2.18 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं। आचार्य जी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है और उन्हें ज्योतिष के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बना दिया है।
प्यार और रिश्तों पर विशेष ध्यान
प्यार और रिश्तों से जुड़ी समस्याओं पर लक्ष केंद्रित करना “Love with Astrology” की खासियत है। जहाँ अन्य ज्योतिष प्लेटफ़ॉर्म सामान्य विषयों पर काम करते हैं, वहाँ यह प्लेटफ़ॉर्म सिर्फ दिल और रिश्तों की उलझनों को सुलझाने पर ध्यान देता है।
चाहे किसी रिश्ते में कठिन दौर से गुजरना हो, अनुकूलता को समझना हो, या शादी से जुड़े मसलों का समाधान चाहिए हो, “Love with Astrology” के पास हर समस्या का समाधान हमेशा होता है। यह प्लेटफ़ॉर्म वैदिक ज्योतिषीय सिद्धांतों पर आधारित है। व्यक्तिगत और प्रभावी उपायों के जरिए रिश्तों में तालमेल बनाने में और समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
ग्राहकों के प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए, यहाँ आपको लाइव और गुप्त फोन कंसल्टेशन का व्यक्तिगत अनुभव मिलता है। प्यार और शादी से जुड़ी हर समस्या का समाधान मिलता है, यहां विशेषज्ञों की आसान और प्रभावी सलाह ज़िन्दगी को आसान और खुशहाल बनती है।
आचार्य जी के ज्ञान से रिश्तों को मिलेगी नई दिशा
“Love with Astrology” सरलता और विशेषता का बेहतरीन संगम है, क्यूंकि 4,000 से ज्यादा अनुभवी ज्योतिषाचार्य जुड़े हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म सटीक और व्यक्तिगत उपायों के माध्यम से उन लोगों का भरोसेमंद साथी बन गया है, जो अपने प्रेम जीवन में स्पष्टता और समाधान की तलाश कर रहे हैं।
इस प्लेटफ़ॉर्म ने हमेशा ग्राहकों की जरूरतों को अच्छे से समझते हुए, उनकी समस्याओं का हल किया है। चाहे वे अकेले हों या सच्चे प्यार की तलाश में हैं, कपल्स जो व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रहे हैं, या शादी से जुड़े मुद्दों का समाधान ढूंढ रहे हैं।
“Love with Astrology” सिर्फ समस्या का समाधान ही नहीं, बल्कि अपने ग्राहकों को प्यार, अपनापन और रिश्तों को समझने और मजबूत करने का रास्ता दिखाता है। यह प्लेटफ़ॉर्म हर रिश्ते को मजबूती देने का एक प्रभावी जरिया बन चुका है।
भरोसे का प्रतीक
“Love with Astrology” ने 21 लाख से अधिक लोगों की ज़िंदगी को नई दिशा दी है, जिससे यह प्यार और ज्योतिष के क्षेत्र में एक अग्रणी नाम बन गया है। इस प्लेटफ़ॉर्म ने अनगिनत व्यक्तियों को उनके रिश्तों की उलझनों को सुलझाने में मदद की है, जिससे यह भरोसे का प्रतीक बन चुका है।
इसके साथ ही, इसके यूट्यूब चैनल पर भी ग्राहकों को संख्या बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है। 2.18 मिलियन सब्सक्राइबर्स वाले इस चैनल के जरिए फॉलोअर्स को मुफ्त सलाह और उपाय मिलते हैं। “Love with Astrology” अब सिर्फ भारत तक सिमित नहीं है, वह दुनियाभर में लोगों तक पहुंच रहा है, जिससे यह एक ग्लोबल ब्रांड बन रहा है।
प्रेम समस्याओं के लिए भरोसेमंद साथी
जहाँ आज रिश्तों की उलझनें अक्सर अच्छाई और स्पष्टता को पीछे छोड़ देती हैं, वहाँ “Love with Astrology: रिश्तों की पाठशाला” एक भरोसेमंद और असरदार समाधान के रूप में सामने आता है। यह प्लेटफ़ॉर्म पारंपरिक ज्योतिषीय ज्ञान और आधुनिक रिश्तों की चुनौतियों के बीच की खाई को दूर करता है।
चाहे आप अपने प्रेम जीवन की नई शुरुआत कर रहे हों, किसी मौजूदा रिश्ते में मार्गदर्शन की तलाश में हों, या अनुकूलता को लेकर सवाल कर रहे हों, “Love with Astrology” हर कदम पर आपका भरोसेमंद साथी बनता है।
यह प्लेटफ़ॉर्म आपको एक बेहतर और खुशहाल प्रेम जीवन की ओर ले जाने के लिए हर जरूरी उपाय और सलाह देता है। प्यार और रिश्तों में संतुलन लाने का रास्ता बड़ी आसान तरीके से “Love with Astrology” में बताया जाता है।
“Love with Astrology: रिश्तों की पाठशाला” के साथ अपने रिश्तों की उलझनों को सुलझाइए।
उनकी व्यक्तिगत सेवाओं को जानने या उनके प्रस्तावों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, विजिट करें (https://www.lovewithastrology.com/).
Love with Astrology का यूट्यूब चैनल: – https://www.youtube.com/@AcharyaSatishAwasthi
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शिव मंदिर में मोरारी बापू की पूजा: एक न्यायसंगत दृष्टिकोण

नई दिल्ली : काशी, भारत का आध्यात्मिक केंद्र, जहाँ धर्म, संस्कृति और परंपराओं का सम्मान होता है, वहाँ हाल ही में एक विवाद ने जनमानस में चर्चा जगाई है। प्रख्यात रामचरितमानस के व्याख्याता और आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू, जिनकी पत्नी का कुछ दिन पहले निधन हुआ, उन्होंने काशी के शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की और रामकथा गायन किया। इस घटना को लेकर कुछ लोगों ने विरोध व्यक्त किया, उनका कहना है कि सूतक के समय में धार्मिक कार्य नहीं करने चाहिए। परंतु, यह लेख मोरारी बापू के निर्णय का समर्थन करता है और अन्य संतों के उदाहरणों द्वारा उसकी पीछे के आध्यात्मिक तथा मानवीय पहलुओं को प्रस्तुत करता है।
मोरारी बापू एक ऐसे संत हैं, जिन्होंने छह दशकों से भी अधिक समय से रामचरितमानस के माध्यम से सत्य, प्रेम और करुणा का संदेश विश्वभर में फैलाया है। उनकी कथाओं ने लाखों लोगों के जीवन को प्रेरणा दी है। अपनी पत्नी के निधन के बाद भी उन्होंने अपने आध्यात्मिक कर्तव्य को जारी रखने का निर्णय लिया, जो उनकी निष्ठा और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हिंदू धर्म में सूतक की परंपरा अलग-अलग समुदायों में विभिन्न तरीकों से निभाई जाती है, और इसका पालन व्यक्तिगत संदर्भ पर निर्भर करता है। मोरारी बापू ने शिव मंदिर में पूजा करके किसी परंपरा का उल्लंघन नहीं किया है; बल्कि, उन्होंने एक संत के रूप में अपने धर्म का पालन किया, जिसमें भगवान की भक्ति और लोगों के कल्याण का समावेश होता है।
हिंदू धर्म में शिव की पूजा मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को स्वीकार करने का प्रतीक है। शिव, जिन्हें महादेव के रूप में जाना जाता है, वे जीवन और मृत्यु दोनों के स्वामी हैं। हमें यह समझना चाहिए कि सूतक का समयकाल शोक और चिंतन का समय होता है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति भगवान की भक्ति से वंचित रहे।
ऐसा ही एक उदाहरण गुजरात के महान संत नरसिंह मेहता का है। नरसिंह मेहता ने अपने जीवन में अनेक दुख सहे, जिसमें उनके परिवार के सदस्यों का निधन भी शामिल था। फिर भी, वे भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहे और अपने भजनों द्वारा लोगों को प्रेरणा दी। उनका प्रसिद्ध भजन “वैष्णव जन तो” आज भी मानवता का संदेश देता है। नरसिंह मेहता ने दुख की घड़ियों में भी भक्ति को नहीं छोड़ा, जो मोरारी बापू के निर्णय के साथ समानता दर्शाता है।
दूसरा उदाहरण संत जलारामबापा का है, जिन्होंने गुजरात के वीरपुर में अन्नदान की परंपरा स्थापित की। जलारामबापा ने अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भगवान राम की सेवा और लोगों की मदद करना बंद नहीं किया। एक बार, जब उनके एक करीबी संबंधी का निधन हुआ, तब भी उन्होंने अन्नदान जारी रखा, क्योंकि उनका मानना था कि सेवा भगवान की भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप है। मोरारी बापू का रामकथा जारी रखना, ऐसी ही भक्ति और सेवा की भावना दर्शाता है।
मोरारी बापू के विरोध के पीछे का कारण कट्टरपंथ हो सकता है, लेकिन, हमें भूलना नहीं चाहिए कि हिंदू धर्म में लचीलापन और व्यक्तिगत आध्यात्मिकता को स्थान है। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान शांति का संदेश दिया, उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाई,और युवक युवतियों के विवाह के लिए आर्थिक मदद की। इनकी सनातनके प्रति निष्ठा पर संदेह करना हमारी समझ की सीमा दर्शाता है। मोरारी बापू की कथाएँ केवल धार्मिक विधि नहीं हैं, बल्कि वे लोगों को नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देती हैं। उनके शोक की घड़ियों में भी कथा जारी रखना यह दर्शाता है कि वे व्यक्तिगत दुख को एक तरफ रखकर समाज के हित के लिए कार्यरत रहे। यह एक सच्चे संत की निशानी है, जो दुख को भक्ति और सेवा में रूपांतरित करते हैं। अंत में, हमें मोरारी बापू के निर्णय को समझना चाहिए और नरसिंह मेहता तथा जलारामबापा जैसे संतों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। विरोध करने के बजाय, उनकी भक्ति और सेवा का सम्मान करें। मोरारी बापू का जीवन एक उदाहरण है कि धर्म केवल नियमों का पालन नहीं है, बल्कि एक भावना है जो मानवता को उन्नत करती है।
अस्वीकरण: उपर्युक्त विचार लेखक के निजी हैं और प्रकाशन की राय को प्रतिबिंबित नहीं करते।
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स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही सच्चे साधु के पंचतत्व हैं: मोरारी बापू

अहमदाबाद (गुजरात), जून 16 :लगाजरडा में श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे में विमान दुर्घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के साथ मोरारी बापू ने संतों–महंतों की उपस्थिति में व्यक्त किए भाव।
दिनांक 13 जून की संध्या को तलगाजरडा में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और राम कथा वाचक मोरारी बापू की धर्मपत्नी श्रीमती नर्मदाबा के भंडारे के अवसर पर, संतों और महंतों की उपस्थिति में बापू ने सभी के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट कीं और कहा कि स्वच्छता, पवित्रता, प्रसन्नता, स्वतंत्रता और असंगता, यही साधु के पंचतत्व हैं।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की पीड़ा और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए, पूज्य मोरारी बापू ने एक आदर्श साधु की परिभाषा देते हुए कहा कि ये पंच गुण एक सच्चे साधु की पहचान हैं। उन्होंने प्रत्येक तत्व पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला और जोड़ा कि साधु लाभ के लिए नहीं, बल्कि शुभ के लिए कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज द्वारा साधु के प्रति श्रद्धा रहती है, परंतु साधु को सहनशील भी होना पड़ता है।
इस भंडारे में श्री सतुआ बाबा, श्री अंशु बापू, श्री दुर्गादास बापू, श्री ललितकिशोर महाराज, श्री जानकीदास बापू, श्री राम बालकदासजी बापू, श्री निर्मला बा, श्री निजानंदजी स्वामी, श्री दलपतराम पधियारजी, श्री दयागीरी बापू, श्री जयदेवदासजी, श्री राजेंद्रप्रसाद शास्त्री, श्री रामेश्वरदासजी हरियाणी, श्री भक्तिराम बापू, श्री घनश्याम बापू आदि अनेक संत, महंत और कथाकार उपस्थित थे।
भंडारे की विधि में मोरारी बापू और चित्रकूटधाम परिवार के समन्वय से सभी ने प्रार्थना और प्रसाद ग्रहण किया। विमान दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए संतवाणी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पूज्य मोरारी बापू ने इस कार्यक्रम को विमान दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया।
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